गुलजार की शायरी ज़िंदगी पर | 99+ BEST Gulzar Shayari On Life in Hindi

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=> 01 - टॉप Gulzar Shayari On Life in Hindi With Images


ग़म मौत का नहीं है,

ग़म ये के आखिरी वक़्त भी,

तू मेरे घर नहीं है।


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आदतन तुम ने कर दिए वादे,

आदतन हम ने ऐतबार किया।

तेरी राहो में बारहा रुक कर,

हम ने अपना ही इंतज़ार किया।

अब ना मांगेंगे जिंदगी या रब,

ये गुनाह हम ने एक बार किया।


*


एक बार तो यूँ होगा, थोड़ा सा सुकून होगा,

ना दिल में कसक होगी, ना सर में जूनून होगा।


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तन्हाई की दीवारों पर घुटन का पर्दा झूल रहा हैं,

बेबसी की छत के नीचे, कोई किसी को भूल रहा हैं।



बदल जाओ वक़्त के साथ या वक़्त बदलना सीखो,

मजबूरियों को मत कोसो, हर हाल में चलना सीखो।


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एक पुराना ख़त खोला जब अनजाने में,

खुशबू जैसे लोग मिले अफसाने में।


*


गुस्सा होकर भी फ़िक्र कराती है,

माँ मुझे मोहब्बत इस कदर करती है।


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बेहिसाब हसरते ना पालिए,

जो मिला हैं उसे सम्भालिए।



ज्यादा कुछ नहीं बदलता उम्र के साथ,

बस बचपन की जिद्द समझौतों में बदल जाती हैं।


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इतने बुरे नहीं थे हम

जितने इलज़ाम लगाये लोगो ने,

कुछ किस्मत ख़राब थी

कुछ आग लगाई लोगो ने।


=> 02 - गुलजार की शायरी जिंदगी पर दो लाइन


तुमसे मिली जो ज़िन्दगी हमने कभी बोइ नहीं,

तेरे सिवा कोई ना था, तेरे सिवा कोई नहीं।


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घर गुलजार सुने शहर,

बस्ती-बस्ती में कैद हर हस्ती हो गई,

आज फिर जिंदगी महंगी और

दौलत सस्ती हो गई।


*


यूँ उम्र कटी दो अंदाज में

एक आस में, एक कास में।


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तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,

रात भी आयी और चाँद भी था, मगर नींद नहीं।



मेरे दर्द को भी आह का हक़ हैं,

जैसे तेरे हुस्न को निगाह का हक़ है।

मुझे भी एक दिल दिया है भगवान ने,

मुझ नादान को भी एक गुनाह का हक़ हैं।


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सिर्फ शब्दों से न करना

किसी के वजूद की पहचान,

हर कोई उतना कह नहीं पाता

जितना समझता और महसूस करता है।


*


न हक़ दो इतना की तकलीफ हो तुम्हे,

न वक्त दो इतना की गुरुर हो हमें।


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सोचा नहीं था जिंदगी में ऐसे भी फसाने होगे,

रोना भी जरुरी होगा और आसू भी छुपाने होगे।



मेरे दिल में एक धड़कन तेरी है,

उस धड़कन की कसम तू ज़िन्दगी मेरी है,

मेरी तो हर सांस में एक सांस तेरी है,

जो कभी सांस रुक जाये तो मौत मेरी है।


-


शाम से आँख में नमी सी है,

आज फिर आप की कमी सी है,

दफ़्न कर दो हमें के साँस मिले,

नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है।


=> 03 - दो लाइन उर्दू शायरी इन हिंदी


मुझे छोड़ कर वो खुश है तो सिकायत केसी,

अब्ब मैं उससे खुश ना देखु तो मोहबात केसी।


-


तजुर्बा बता रहा हूँ ऐ दोस्त दर्द, गम, डर जो भी है

बस तेरे अन्दर है,

खुद के बनाए पिंजरे से निकल कर तो देख,

तू भी एक सिकंदर है।


*


मोहल्ले की मोहब्बत का भी

अजीब फसाना है,

चार घर की दुरी है

और बिच में सारा जमाना है।


-


शाम से आँख में नमी सी है,

आज फिर आप की कमी सी है,

दफ़्न कर दो हमें के साँस मिले,

नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है।



किसने रास्ते मे चांद रखा था,

मुझको ठोकर लगी कैसे।

वक़्त पे पांव कब रखा हमने,

ज़िंदगी मुंह के बल गिरी कैसे।

आंख तो भर आयी थी पानी से,

तेरी तस्वीर जल गयी कैसे।


-


याद आएगी हर रोज़ मगर

तुझे आवाज़ ना दूँगा,

लिखूँगा तेरे ही लिए हर ग़ज़ल

मगर तेरा नाम ना लूँगा।


*


जो जाहिर करना पड़े,

वो दर्द कैसा,

और जो दर्द न समझ सके,

वो हमदर्द कैसा।


-


कुछ सुनसान पड़ी है ज़िंदगी,

कुछ वीरान हो गए है हम,

जो हमें ठीक से जान भी नहीं पाया,

खामखां उसके लिए परेशान हो गए है हम।



दुपट्टा क्या रख लिया सर पे,

वो दुल्हन नजर आने लगी,

उसकी तो अदा हो गयी,

जान हमारी जाने लगी।


-


लगे न नज़र इस रिश्ते को जमाने की,

हमारी भी तमन्ना है.

मरते दम तक आपसे दोस्ती निभाने की।


=> 04 - Gulzar Shayari in Hindi 2 Lines


थोडा है थोड़े की ज़रूरत है,

ज़िन्दगी फिर भी यहाँ की खुबसूरत है।


-


हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते,

वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते।


*


तन्हाई की दीवारों पर

घुटन का पर्दा झूल रहा हैं,

बेबसी की छत के नीचे,

कोई किसी को भूल रहा हैं।


-


हँसना हँसाना आता हैं मुझे,

मुझसे गम की बात नहीं होती,

मेरी बातो में मज़ाक होता हैं ,

मेरी हर बात मज़ाक नहीं होती।



जब मिला शिकवा अपनों से तो ख़ामोशी ही भलीं,

अब हर बात पर जंग हो यह जरुरी तो नहीं।


-


जब मिला शिकवा अपनों से तो ख़ामोशी ही भलीं,

अब हर बात पर जंग हो यह जरुरी तो नहीं।


*


दर्द की भी अपनी एक अदा है,

वो भी सहने वालों पर फ़िदा है।


-


तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी,

जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं।



समेट लो इन नाजुक पलो को

ना जाने ये लम्हे हो ना हो,

हो भी ये लम्हे क्या मालूम शामिल

उन पलो में हम हो ना हो।


-


नहीं बदल सकते हैं हम,

खुद को औरो के हिसाब से,

एक लिबास हमें भी दिया है,

खुदा ने अपने हिसाब।


=> 05 - 2 Lines Gulzar Shayari On Life


ना राज़ है “ज़िन्दगी”,

ना नाराज़ है “ज़िन्दगी”,

बस जो है, वो आज है ज़िन्दगी।


-


वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी नफरत भी तुम्हारी थी,

हम अपनी वफ़ा का इंसाफ किससे माँगते,

वो शहर भी तुम्हारा था, वो अदालत भी तुम्हारी थी।


*


दिल अब पहले सा मासूम नहीं रहा,

पत्त्थर तो नहीं बना पर अब मोम भी नही रहा।


-


मेरी ख़ामोशी में सन्नाटा भी है और शौर भी है,

तूने देखा ही नहीं, आँखों में कुछ और भी है।



पूरे की ख्वाहिश में ये इंसान बहुत कुछ खोता है,

भूल जात है कि आधा चाँद भी खूबसूरत होता है।


-


टूट जाना चाहता हूँ, बिखर जाना चाहता हूँ,

में फिर से निखर जाना चाहता हूँ,

मानता हूँ मुश्किल हैं,

लेकिन में गुलज़ार होना चाहता हूँ।


*


तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई शिकवा तो नहीं,

तेरे बिना ज़िन्दगी भी लेकिन ज़िन्दगी तो नहीं।


-


एक सुकून की तलाश में जाने कितनी बेचैनियाँ पाल ली,

और लोग कहते हैं की हम बड़े हो गए हमने ज़िंदगी संभाल ली।



जब भी ये दिल उदास होता है,

जाने कौन आस पास होता है,

कोई वादा नहीं किया लेकिन

क्यूँ तेरा इंतज़ार रहता है।


-


दिल तो रोज कहता है मुझे कोई सहारा चाहिए,

फिर दिमाग कहता है क्या धोखा दोबारा चाहिए।


=> 06 - Gulzar Shayari On Life Partner


उम्र ज़ाया कर दी लोगो ने, औरों में नुक्स निकालते निकालते, इतना खुद को तराशा होता, तो फरिश्ते बन जाते।


-


याद आएगी हर रोज़ मगर, तुझे आवाज़ ना दूँगा, लिखूँगा तेरे ही लिए हर ग़ज़ल, मगर तेरा नाम ना लूँगा।


*


एक सो सोलह चाँद की रातें, एक तुम्हारे कंधे का तिल, गीली मेहँदी की खुश्बू, झूठ मूठ के वादे, सब याद करादो, सब भिजवा दो, मेरा वो सामान लौटा दो।


-


ना दूर रहने से रिश्ते टूट जाते हैं, ना पास रहने से जुड़ जाते हैं, यह तो एहसास के पक्के धागे हैं, जो याद करने से और मजबूत हो जाते हैं।


^


गए थे सोचकर कि बात बचपन की होगी, मगर दोस्त मुझे अपनी तरक्की सुनाने लगे।


-


शब्द नए चुनकर कविता हर बार लिखू, उन दो आँखों में अपना सारा प्यार लिखू, वो में विरह की वेदना लिखू या मिलन की झंकार लिखू, कैसे इन चंद लफ्जो में दोस्तों अपना सारा प्यार लिखू।


*


देखो, आहिस्ता चलो, और भी आहिस्ता ज़रा देखना, सोच-संभल कर ज़रा पाँव रखना, ज़ोर से बज न उठे पैरों की आवाज़ कहीं। काँच के ख़्वाब हैं बिखरे हुए तन्हाई में, ख़्वाब टूटे न कोई, जाग न जाये देखो, जाग जायेगा कोई ख़्वाब तो मर जाएगा।


-


तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिकवा तो नहीं, तेरे बिना पर ज़िंदगी भी लेकिन ज़िंदगी तो नहीं।


^


कहू क्या वो बड़ी मासूमियत से पूछ बैठे है, क्या सचमुच दिल के मारों को बड़ी तकलीफ़ होती है, तुम्हारा क्या तुम्हें तो राहे दे देते हैं काँटे भी, मगर हम खांकसारों को बड़ी तकलीफ़ होती है।


-


तेरी यादों के जो आखिरी थे निशान, दिल तड़पता रहा, हम मिटाते रहे, ख़त लिखे थे जो तुमने कभी प्यार में, उसको पढ़ते रहे और जलाते रहे।


=> 07 - Gulzar Shayari On Life in English


तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिकवा तो नहीं, तेरे बिना पर ज़िंदगी भी लेकिन ज़िंदगी तो नहीं।


-


ऐ हवा उनको कर दे खबर मेरी मौत की, और कहना कि, कफ़न की ख्वाहिश में मेरी लाश, उनके आँचल का इंतज़ार करती है।


*


बहुत मुश्किल से करता हूँ, तेरी यादों का कारोबार, मुनाफा कम है, पर गुज़ारा हो ही जाता है।


-


वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी, वो नफ़रत भी तुम्हारी थी, हम अपनी वफ़ा का इंसाफ किससे मांगते, वो शहर भी तुम्हारा था, वो अदालत भी तुम्हारी थी।


^


पलक से पानी गिरा है, तो उसको गिरने दो, कोई पुरानी तमन्ना पिघल रही होगी।


-


आदतन तुम ने कर दिए वादे, आदतन हम ने ऐतबार किया, तेरी राहो में बारहा रुक कर, हम ने अपना ही इंतज़ार किया, अब ना मांगेंगे ज़िंदगी ए रब, ये गुनाह हम ने एक बार किया।


*


उन्हें ये ज़िद थी कि हम बुलाये, हमें ये उम्मीद थी कि वो पुकारे, हैं नाम होठों पे अब भी लेकिन, आवाज़ में पड़ गयी दरारे।


-


मैंने मौत को देखा तो नहीं, पर शायद वो बहुत खूबसूरत होगी, कमबख्त जो भी उससे मिलता हैं, जीना ही छोड़ देता हैं।


^


सुना हैं काफी पढ़ लिख गए हो तुम, कभी वो भी पढ़ो जो हम कह नहीं पाते हैं।


-


गुलाम थे तो हम सब हिंदुस्तानी थे, आज़ादी ने हमें हिन्दू मुसलमान बना दिया।


=> 08 - दोस्ती पर गुलज़ार की शायरी


टूट जाना चाहता हूँ, बिखर जाना चाहता हूँ, में फिर से निखार जाना चाहता हूँ, मानता हूँ मुश्किल हैं, लेकिन में गुलज़ार होना चाहता हूँ।


-


समेट लो इन नाजुक पलो को, ना जाने ये लम्हे हो ना हो, हो भी ये लम्हे क्या मालूम शामिल, उन पलो में हम हो ना हो


*


कुछ ज़ख्मों की उम्र नहीं होती हैं, ता उम्र साथ चलते हैं, जिस्मो के ख़ाक होने तक।


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बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला, जब से डिग्रियां समझ में आयी पांव जलने लगे हैं।


^


ज्यादा कुछ नहीं बदलता उम्र के साथ, बस बचपन की ज़िद्द समझौतों में बदल जाती हैं।


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सहम सी गयी है ख्वाहिशें, ज़रूरतों ने शायद उनसे ऊँची आवाज़ में बात की होगी।


*


आओ तुमको उठा लूँ कंधों पर, तुम उचकाकर शरीर होठों से चूम लेना, चूम लेना ये चाँद का माथा, आज की रात देखा ना तुमने, कैसे झुक-झुक के कोहनियों के बल, चाँद इतना करीब आया है।


-


सूरज झांक के देख रहा था खिड़की से, एक किरण झुमके पर आकर बैठी थी, और रुख़सार को चूमने वाली थी कि, तुम मुंह मोड़कर चल दीं और बेचारी किरण, फ़र्श पर गिरके चूर हुईं, थोड़ी देर ज़रा सा और वहीं रूकतीं तो।


^


बीच आसमाँ में था, बात करते- करते ही चांद इस तरह बुझा, जैसे फूंक से दिया, देखो तुम, इतनी लम्बी सांस मत लिया करो।


-


आदमी बुलबुला है पानी का, और पानी की बहती सतह पर टूटता भी है, डूबता भी है, फिर उभरता है, फिर से बहता है, न समंदर निगल सका इसको, न तरीख़ तोड़ पाई है, वक्त की मौज पर सदा बहता आदमी बुलबुला है पानी का।


=> 09 - गुलजार शायरी प्यार


दिन कुछ ऐसे गुजारता है कोई, जैसे एहसान उतारता है कोई।


-


सामने आया मेरे, देखा भी, बात भी की मुस्कुराए भी, किसी पहचान की खातिर कल का अखबार था, बस देख लिया, रख भी दिया।


*


सामने आया मेरे, देखा भी, बात भी की मुस्कुराए भी, किसी पहचान की खातिर कल का अखबार था, बस देख लिया, रख भी दिया।


-


लकीरें हैं तो रहने दो, किसी ने रूठ कर गुस्से में शायद खींच दी थी, उन्ही को अब बनाओ पाला, और आओ कबड्डी खेलते हैं।


^


एक बार तो यूँ होगा, थोड़ा सा सुकून होगा, ना दिल में कसक होगी, ना सर में जूनून होगा।


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मिलता तो बहुत कुछ है, ज़िंदगी में बस हम गिनती उन्ही की करते है, जो हासिल न हो सका।


*


हाथ छुटे भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते, वक्त की शाख से लम्हें नहीं तोडा करते।


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वक्त रहता नहीं कही भी टिक कर, आदत इसकी भी इंसान जैसी हैं।


^


तन्हाई की दीवारों पर, घुटन का पर्दा झूल रहा हैं, बेबसी की छत के नीचे, कोई किसी को भूल रहा हैं।


-


कभी तो चौंक के देखे वो हमारी तरफ़, किसी की आँखों में हमको भी वो इंतजार दिखे।


=> 10 - गुलज़ार एक अहसास


अपने साये से चौंक जाते हैं, उम्र गुज़री है इस क़दर तनहा।


-


शायर बनना बहुत आसान है, बस एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए।


*


घर में अपनों से उतना ही रूठो कि आपकी बात और दूसरों की इज्जत, दोनों बरक़रार रह सके।


-


कोई खामोश ज़ख्म लगती है, ज़िंदगी एक नज़्म लगती है।


^


एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद, दूसरा सपना देखने के हौसले का नाम ज़िन्दगी हैं।


-


सुनो, जब कभी देख लुं तुमको तो मुझे महसूस होता है कि दुनिया खूबसूरत है।


*


देर से गूंजते हैं सन्नाटे, जैसे हमको पुकारता है कोई। कल का हर वाक़िया था तुम्हारा, आज की दास्ताँ है हमारी।


-


मैं वो क्यों बनु जो तुम्हें चाहिए, तुम्हें वो कबूल क्यों नहीं जो मैं हूं।


^


लोग कहते है की खुश रहो, मगर मजाल है की रहने दे।


-


थोड़ा सा रफू करके देखिए ना, फिर से नई सी लगेगी जिंदगी ही तो है।


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