इमाम हुसैन शायरी हिन्दी मे | 499+ BEST Imam Hussain Shayari in Hindi
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=> 01 - टॉप Imam Hussain Shayari in Hindi With Images
कर्बला को कर्बला के शहंशाह पर नाज है,
उस नवासे पर मुहम्मद को नाज है,
यूँ तो लाखों सिर झुके सजदे में लेकिन
हुसैन ने वो सजदा किया जिस पर खुदा को नाज है।
फिर आज हक़ के लिए जान फिदा करे कोई,
वफ़ा भी झूम उठे यूँ वफ़ा करे कोई,
नमाज़ 1400 सालों से इंतजार में है,
हुसैन की तरह मुझे अदा करे कोई।
*
पानी का तलब हो तो एक काम किया कर,
कर्बला के नाम पर एक जाम पिया कर,
दी मुझको हुसैन इब्न अली ने ये नसीहत,
जालिम हो मुकाबिल तो मेरा नाम लिया कर।
क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने,
सजदे में जा कर सर कटाया हुसैन ने,
नेजे पे सिर था और जुबां पर अय्यातें,
कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने।
क्या हक अदा करेगा ज़माना हुसैन का
अब तक ज़मीन पर कर्ज़ है सजदा हुसैन का
झोली फैलाकर मांग लो मुमीनो
हर दुआ कबूल करेगा दिल हुसैन का
दिल से निकली दुआ है हमारी,
मिले आपको दुनिया में खुशियां सारी,
गम ना दे आपको खुदा कभी,
चाहे तो एक खुशी कम कर दे हमारी.
*
जन्नत की आरज़ू में कहां जा रहे हैं लोग
जन्नत तो करबला में खरीदी हुसैन ने
दुनिया-ओ-आखरात में जो रहना हो चैन से
जीना अली से सीखो मरना हुसैन से
नज़र गम है नज़रों को बड़ी तकलीफ होती है
बगैर उनके नज़रों को बड़ी तकलीफ होती है
नबी कहते थे अकसर के अकसर ज़िक्र-ए-हैदर से
मेरे कुछ जान निसारों को बड़ी तकलीफ होती है
कत्ल-ए-हुसैन असल में मार्ग-ए-यजीद है
इस्लाम ज़िंदा होता है हर करबला के बाद
सजदा से करबला को बंदगी मिल गई
सबर से उम्मत को ज़िंदगी मिल गई
एक चमन फातिमा का गुज़रा
मगर सारे इस्लाम को ज़िंदगी मिल गई.
=> 02 - इमाम हुसैन शायरी इन हिन्दी
मुझे क्या फ़िक्र, हुसैन जन्नत का इमाम होगा
दम-ए-आखिर लबों पर हुसैन का नाम होगा..
थामे रहो तुम युँही दामन मेरे हुसैन का
देखना एक रोज़ वक्त भी तुम्हारा गुलाम होगा..
आया वो मेरे दिल में फिर
एक नए ग़म की तरह,
इस बार भी ईद गुज़री
मेरी मुहर्रम की तरह.
*
इस्लाम के चिराग में खून-ऐ-हुसैन है,
ता हश्र ये चिराग रहेगा जला हुआ…
कर्बला की उस जमी पर खून बहा
कत्लेआम का मंजर सजा
दर्द और दुखो से भरा था जहा
लेकिन फौलादी हौसले को शहीद का नाम मिला
इमाम का हौसला इस्लाम जगा गया,
अल्लाह के लिए उसका फर्ज आवाम को धर्म सिखा गया।
ऐसी नमाज़ कौन पढ़ेगा जहां में,
सजदा किया तो सर ना उठाया हुसैन ने,
सब कुछ खुदा की राह में कुर्बान कर दिया,
असग़र सा फूल भी ना बचाया हुसैन ने।
*
न से चराग-ए-दीन जलाया हुसैन ने,
रस्म-ए-वफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने,
खुद को तो एक बूँद न मिल सका लेकिन
करबला को खून पिलाया हुसैन ने।
न से चराग-ए-दीन जलाया हुसैन ने,
रस्म-ए-वफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने,
खुद को तो एक बूँद न मिल सका लेकिन
करबला को खून पिलाया हुसैन ने।
बनी दुनिया जिसके लिए..
रहे न वो अब यहाँ,
हुए कुर्बान इस क़दर
दे गए मिसाल ईमान की.
-
हुसैन आप ही से बाग़ ए उल्फ़त में बहार है,
हुसैन आप ही से हर मोमिन के दिल को करार है,
हुसैन आप ही से यज़ीदियत की हार है
हुसैन आप की ही ज़माने पर सरकार है.
=> 03 - इमाम हुसैन शायरी लिरिक्स
दुनिया ने देखी शान वो कर्बोबला में
ज़ो आख़री सज़दा किया मेरे हुसैन ने
-
लफ़्जों में क्या लिखूं मैं शहादत हुसैन की,
कलम भी रो देता है कर्बला का मंजर सोचकर.
*
पानी का तलब हो तो एक काम किया कर,
कर्बला के नाम पर एक जाम पिया कर,
दी मुझको हुसैन इब्न अली ने ये नसीहत,
जालिम हो मुकाबिल तो मेरा नाम लिया कर।
-
ना जाने क्यों मेरी आँखों में आ गए आँसू,
सिखा रहा था मैं बच्चे को कर्बला लिखना।
सजदे से कर्बला को बंदगी मिल गयी,
सब्र से उम्मत को ज़िन्दगी मिल गयी,
एक चमन फातिमा का उजड़ा मगर
सारे इस्लाम को जिंदगी मिला गयी.
-
शहादत सब के हिस्से में कहाँ आती है दुनिया में
मैं तुझ पे रशक करता हूँ तिरा मातम नहीं करता!
*
सुनो मेरी क़ौम के नौनिहालों,
सफ़र की आज़माइशों से थक कर ना कहीं सो जाना
भूख और प्यास की शिद्दत में भी नेज़ों का बिस्तर,
इतना आसान नहीं है हुसैन हो जाना
-
सुनो मेरी क़ौम के नौनिहालों,
सफ़र की आज़माइशों से थक कर ना कहीं सो जाना
भूख और प्यास की शिद्दत में भी नेज़ों का बिस्तर,
इतना आसान नहीं है हुसैन हो जाना
सिर गैर के आगे न झुकाने वाला
और नेजे पर भी कुरान सुनाने वाला,
इस्लाम से क्या पूछते हो कौन है हुसैन,
हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला।
-
सिर गैर के आगे न झुकाने वाला
और नेजे पर भी कुरान सुनाने वाला,
इस्लाम से क्या पूछते हो कौन है हुसैन,
हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला।
=> 04 - इमाम हुसैन शायरी इमेज
सजदे में सर, गले पे खंजर और तीन दिन की प्यास
ऐसी नमाज़ फिर ना हुई……. कर्बला के बाद
-
फलक पर शोक का बादल अजीब आया है,
कि जैसे माह मुहर्रम नजदीक आया है.
*
जन्नत की आरजू में कहा जा रहे है लोग,
जन्नत तो कर्बला में खरीदी हुसैन ने,
दुनिया-ओ-आखरत में रहना हो चैन सूकून से
तो जीना अली से सीखे और मरना हुसैन से।
-
सुन लो यज़ीदीयों, तड़पा नही हुसैन मेरा, पानी के लिए
दरिया ज़रूर महरूम था, लब-ए हुसैन को छूने के लिए।
सल्तनत ए यजीदी मिट गई दुनियां से
दिलों में हैं लोगों के बादशाहत ए हुसैन
-
वो जिसने अपने नाना का वादा वफ़ा कर दिया,
घर का घर सुपर्द-ए-खुदा कर दिया,
नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम,
उस हुसैन इब्ने-अली पर लाखों सलाम.
*
क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने,
सजदे में जा कर सर कटाया हुसैन ने,
नेजे पे सिर था और जुबां पर अय्यातें,
कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने।
-
दिल थाम के सोचा लिखूं शान-ए-हुसैन में,
कलम चीख उठी कहा बस अब रोने दो.
मिटकर भी मिट सके ना
ऐसा वो हामी-ओ-यावर
नेज़े की नोंक पर था
फिर भी बुलंद था सर.
-
ज़िक्र-ए-हुसैन आया तो आँखें छलक पड़ी,
पानी को कितना प्यार है अब भी हुसैन से.
=> 05 - इमाम हुसैन शायरी इन इंगलिश
लफ़्जों में क्या लिखूं मैं शहादत हुसैन की,
कलम भी रो देता है कर्बला का मंजर सोचकर।
-
खुशियों का सफ़र तो गम से शुरू होता है,
हमारा तो नया साल मुहर्रम से शुरू होता है.
*
कर्बला की कहानी में कत्लेआम था
लेकिन हौसलों के आगे हर कोई गुलाम था,
खुदा के बन्दे ने दी कुर्बानी
जो आनेवाली नस्लों के लिए एक पैगाम था.
-
कर्बला की शहादत इस्लाम बना गयी,
खून तो बहा था लेकिन कुर्बानी हौसलों की उड़ान दिखा गयी।
ख़ुदा का जिस पर रहमत हो वो हुसैन होता है,
जो इन्साफ और सत्य के लड़ जाए वो हुसैन होता है.
-
साल तो पहले भी कई साल बदले,
दुआ है इस साल उम्मत का हाल बदले।
*
किस कदर रोया मैं सुन के दास्ताने कर्बला,
मैं तो हिन्दू ही रहा आँखे हुसैनी हो गयी.
-
दुनिया करेगी जिक्र हमेशा हुसैन का,
इस्लाम जिन्दा कर गया सजदा हुसैन का.
जालिम का नाम मिट गया तारीख़ से मगर,
वो याद रह गए जिन्हें पानी नहीं मिला…
-
जन्नत की आरजू में कहा जा रहे है लोग
जन्नत तो कर्बला में खरीदी हुसैन ने
दुनिया-ओ-आखरत में रहना हो चैन सूकून से
तो जीना अली से सीखे और मरना हुसैन से
=> 06 - इमाम हुसैन शायरी ए लाइन
वो जिसने अपने नाना का वादा वफा कर दिया
घर का घर सुपुर्द-ए-खुदा कर दिया
नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम
उस हुसैन इब्न अली को लाखों सलाम
-
गुरूर टूट गया कोई मर्तबा ना मिला
सितम के बाद भी कुछ हासिल जफा ना मिला
सिर-ऐ-हुसैन मिला है यजीद को लेकिन
शिकस्त यह है की फिर भी झुका हुआ ना मिला
*
न हिला पाया वो रब की मैहर को
भले जात गया वो कायर जंग
पर जो मौला के दर पर बैखोफ शहीद हुआ
वही था असली और सच्चा पैगम्बर।
-
क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने
सजदे में जा कर सिर कटाया हुसैन ने
नेजे पे सिर था और ज़ुबान पे आयतें
कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने।
^
क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने
सजदे में जा कर सिर कटाया हुसैन ने
नेजे पे सिर था और ज़ुबान पे आयतें
कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने।
-
फिर आज हक़ के लिए जान फिदा करे कोई
वफ़ा भी झूम उठे यूँ वफ़ा करे कोई
नमाज़ 1400 सालों से इंतज़ार में है
हुसैन की तरह मुझे अदा करे कोई
*
सिर गैर के आगे ना झुकाने वाला
और नेजे पे भी कुरान सुनाने वाला
इस्लाम से क्या पूछते हो कौन हुसैन
हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला
-
सिर गैर के आगे ना झुकाने वाला
और नेजे पे भी कुरान सुनाने वाला
इस्लाम से क्या पूछते हो कौन हुसैन
हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला।
^
क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने
सजदे में जा कर सिर कटाया हुसैन ने
नेजे पे सिर था और ज़ुबान पे अय्यातें
कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने।
-
करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने
ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने
लहू जो बह गया कर्बला में
उनके मकसद को समझो तो कोई बात बने।
=> 07 - इमाम हुसैन शायरी उर्दू हिन्दी
यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का
कुछ देख के हुआ था ज़माना हुसैन का
सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ले
महंगा पड़ा यज़ीद को सौदा हुसैन का
-
खून से चराग-ए-दीन जलाया हुसैन ने
रस्म-ए-वफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने
खुद को तो एक बूँद न मिल सका लेकिन
करबला को खून पिलाया हुसैन ने
*
एक दिन बड़े गुरुर से कहने लगी जमीन
है मेरे नसीब में परचम हुसैन का
फिर चाँद ने कहा मेरे सीने के दाग देख
होता है आसमान पर भी मातम हुसैन का
-
न हिला पाया वो रब की मैहर को
भले जीत गया वो कायर जंग
पर जो मौला के दर पर बैखोप शहीद हुआ
वही था असली सच्चा पैगम्बर
^
ऐसी नमाज़ कौन पढ़ेगा जहाँ
सज़दा किया तो सर ना उठाया हुसैन ने
सब कुछ खुदा की राह में कुर्बान कर दिया
असगर सा फूल भी ना बचाया हुसैन ने
-
कर्बला की उस जमी पर खून बहा
कत्लेआम का मंजर सजा
दर्द और दुखो से भरा था जहा
लेकिन फौलादी हौसले को शहीद का नाम मिला
*
इमाम का होशाला
इस्लाम बना गया
अल्लाह के लिए उसका फ़र्ज़
आवाम को धर्म सिखा गया
-
कर्बला की शाहदत इस्लाम बन गई
खून तो बहा था लेकिन हौशालो की उडान बन गई
^
पानी का तलब हो तो एक काम किया कर
कर्बला के नाम पर एक जाम पिया कर
दी मुझको हुसैन इब्न अली ने ये नसीहत
जालिम हो मुकाबिल तो मेरा नाम लिया कर
-
पानी का तलब हो तो एक काम किया कर
कर्बला के नाम पर एक जाम पिया कर
दी मुझको हुसैन इब्न अली ने ये नसीहत
जालिम हो मुकाबिल तो मेरा नाम लिया कर
=> 08 - इमाम हुसैन शायरी रेखता
इश्क मैं किया लुटिया इश्क मैं किया बेचेन
अल ए नबी ने लिख दिया सारा नसीब रीत पर
-
हुसैन तेरी अता का चश्मा दिलों के दामन भिगो रहा है
ये आसमान में उदास बादल तेरी मोहब्बत में रो रहा है
सबा भी जो गुजरे कर्बला से तो उसे कहता है अर्थ वाला
तू धीरे गूजर यहाँ मेरा हुसैन सो रहा है
*
क्या हक़ अदा करेगा ज़माना हुसैन का
अब तक ज़मीन पे क़र्ज़ है सजदा हुसैन का
झोली फैला कर मांग लो मोमिनो
हर दुआ कबूल करेगा दिल हुसैन का
-
तरीका मिसाल असी कोई दोंड के लिए
सर तन से जुड़ा भी हो मगर मौत न आये
सोचन मैं सबर ओ राजा के जो मफिल
एक हुसैन रा अब अली रा जैन मैं आये
^
अफज़ल है कुल जहाँ से घराना हुसैन का
निबिओं का ताजदार है घराना हुसैन का
एक पल की थी बस हुकूमत यजीद की
सदियन हुसैन रा है जमाना रा हुसैन का
-
शमशेर से मोला ने कहा चला मगर ऐस
हो ख़ैबर-ओ-खंडक मैं भी हाल चाल मगर ऐसे
इस मेह्दान में रहे मौत की जाल थल मगर ऐसे
इस दश्त मैं रहे खून की दलदल ऐसे
तू जिस पे उत्तर गए मैं उस का वाली हूँ
वोह सिर्फ अली था मैं हुसैन इब्न ए अली हूँ
*
शमशेर से मोला ने कहा चला मगर ऐस
हो ख़ैबर-ओ-खंडक मैं भी हाल चाल मगर ऐसे
इस मेह्दान में रहे मौत की जाल थल मगर ऐसे
इस दश्त मैं रहे खून की दलदल ऐसे
तू जिस पे उत्तर गए मैं उस का वाली हूँ
वोह सिर्फ अली था मैं हुसैन इब्न ए अली हूँ
-
कर्बला को कर्बला के शहंशाह पर नाज़ है
उस नवासे पर मुहम्मद को नाज़ है
यूँ तो लाखों सिर झुके सज़दे में लेकिन
हुसैन ने वो सज़दा किया जिस पर खुदा को नाज़ है
^
दश्त-ए-बाला को अर्श का जीना बना दिया
जंगल को मुहम्मद का मदीना बना दिया
हर जर्रे को नज़फ का नगीना बना दिया
हुसैन तुमने मरने को जीना बना दिया
-
यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का
कुछ देख के हुआ था ज़माना हुसैन का
सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ले
महंगा पड़ा यज़ीद को सौदा हुसैन का
=> 09 - इमाम हुसैन शायरी डिपी
एक दिन बड़े गुरुर से कहने लगी जमीन
है मेरे नसीब में परचम हुसैन का
फिर चाँद ने कहा मेरे सीने के दाग देख
होता है आसमान पर भी मातम हुसैन का
-
फिर आज हक़ के लिए जान फिदा करे कोई
वफ़ा भी झूम उठे यूँ वफ़ा करे कोई
नमाज़ 1400 सालों से इंतज़ार में है
हुसैन की तरह मुझे अदा करे कोई
*
खून से चराग-ए-दीन जलाया हुसैन ने
रस्म-ए-वफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने
खुद को तो एक बूँद न मिल सका लेकिन
करबला को खून पिलाया हुसैन ने
-
वो जिसने अपने नाना का वादा वफा कर दिया
घर का घर सुपुर्द-ए-खुदा कर दिया
नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम
उस हुसैन इब्न अली को लाखों सलाम
^
पानी का तलब हो तो एक काम किया कर
कर्बला के नाम पर एक जाम पिया कर
दी मुझको हुसैन इब्न अली ने ये नसीहत
जालिम हो मुकाबिल तो मेरा नाम लिया कर
-
हुसैन तेरी अता का चश्मा दिलों के दामन भिगो रहा है
ये आसमान में उदास बादल तेरी मोहब्बत में रो रहा है
सबा भी जो गुजरे कर्बला से तो उसे कहता है अर्थ वाला
तू धीरे गूजर यहाँ मेरा हुसैन सो रहा है
*
जन्नत की आरजू में कहा जा रहे है लोग
जन्नत तो कर्बला में खरीदी हुसैन ने
दुनिया-ओ-आखरत में रहना हो चैन सूकून से
तो जीना अली से सीखे और मरना हुसैन से
-
गुरूर टूट गया कोई मर्तबा ना मिला
सितम के बाद भी कुछ हासिल जफा ना मिला
सिर-ऐ-हुसैन मिला है यजीद को लेकिन
शिकस्त यह है की फिर भी झुका हुआ ना मिला
^
न हिला पाया वो रब की मैहर को
भले जीत गया वो कायर जंग
पर जो मौला के दर पर बैखोफ शहीद हुआ
वही था असली और सच्चा पैगम्बर
-
क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने
सजदे में जा कर सिर कटाया हुसैन ने
नेजे पे सिर था और ज़ुबान पे आयतें
कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने।
=> 10 - Imam Hussain Shayari Lyrics
सिर गैर के आगे ना झुकाने वाला
और नेजे पे भी कुरान सुनाने वाला
इस्लाम से क्या पूछते हो कौन हुसैन
हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला
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ऐसी नमाज़ कौन पढ़ेगा जहाँ
सज़दा किया तो सर ना उठाया हुसैन ने
सब कुछ खुदा की राह में कुर्बान कर दिया
असगर सा फूल भी ना बचाया हुसैन ने
*
क्या हक़ अदा करेगा ज़माना हुसैन का
अब तक ज़मीन पे क़र्ज़ है सजदा हुसैन का
झोली फैला कर मांग लो मोमिनो
हर दुआ कबूल करेगा दिल हुसैन का
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न हिला पाया वो रब की मैहर को
भले जीत गया वो कायर जंग
पर जो मौला के दर पर बैखोफ शहीद हुआ
वही था असली और सच्चा पैगम्बर
^
गुरूर टूट गया कोई मर्तबा ना मिला
सितम के बाद भी कुछ हासिल जफा ना मिला
सिर-ऐ-हुसैन मिला है यजीद को लेकिन
शिकस्त यह है की फिर भी झुका हुआ ना मिला
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कर्बला को कर्बला के शहंशाह पर नाज़ है
उस नवासे पर मुहम्मद को नाज़ है
यूँ तो लाखों सिर झुके सज़दे में लेकिन
हुसैन ने वो सज़दा किया जिस पर खुदा को नाज़ है
*
दश्त-ए-बाला को अर्श का जीना बना दिया
जंगल को मुहम्मद का मदीना बना दिया
हर जर्रे को नज़फ का नगीना बना दिया
हुसैन तुमने मरने को जीना बना दिया
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क्या हक़ अदा करेगा ज़माना हुसैन का
अब तक ज़मीन पे क़र्ज़ है सजदा हुसैन का
झोली फैला कर मांग लो मोमिनो
हर दुआ कबूल करेगा दिल हुसैन का
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क्या हक़ अदा करेगा ज़माना हुसैन का
अब तक ज़मीन पे क़र्ज़ है सजदा हुसैन का
झोली फैला कर मांग लो मोमिनो
हर दुआ कबूल करेगा दिल हुसैन का
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क्या हक़ अदा करेगा ज़माना हुसैन का
अब तक ज़मीन पे क़र्ज़ है सजदा हुसैन का
झोली फैला कर मांग लो मोमिनो
हर दुआ कबूल करेगा दिल हुसैन का
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