जॉन एलिया की शायरी हिन्दी मे | 499+ BEST Jaun Elia Shayari in Hindi
Jaun Elia Shayari in Hindi - Read Best Jaun Elia Famous Shayari in Hindi, जॉन एलिया की ग़ज़लें, यूँ तो अपने कासिदाने-दिल के पास, ये तो बस सर ही माँगता है, वो जो न आने वाला, जॉन तुम्हें ये दौर मुबारक, मर चुका है दिल मगर ज़िंदा हूँ मैं, अब भी आ जाओ जॉन एलिया, तुम मेरी जान किस गुमान में हो And Share On Your Social Media Like Facebook, WhatsApp And Instagram.
=> 01 - टॉप Jaun Elia Shayari in Hindi With Images
शायद मुझे किसी से मोहब्बत नहीं हुई
पर यकीन सबको दिलाता रहा हूं मैं।
ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं
वफ़ादारी का दावा क्यों करें हम।
*
मुझे अब तुमसे डर लगने लगा है
तुम्हें मुझसे मोहब्बत हो गई क्या।
आप अब पूछने को आए हैं
दिल मेरी जान मर गया कब का।
और तो क्या था बेचने के लिए
अपनी आंखों के ख़्वाब बेचे हैं।
बनके खुशबू की उदासी रहिए दिल के बाग़ में
दूर होते जाइए नज़दीक आते जाइए।
*
कितने ऐश उड़ाते होंगे कितने इतराते होंगे
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे।
हम जो अब आदमी हैं पहले कभी
जाम होंगे छलक गए होंगे।
वो भी मंज़िल तलक पहुँच जाता
उसने ढूंढा नहीं पता मेरा।
उस से भी अब कोई बात क्या करना
ख़ुद से भी बात कीजे कम-कम जी।
=> 02 - Jaun Elia Famous Shayari in Hindi
बहुत नज़दीक आती जा रही हो
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या।
नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम।
*
जो गुज़ारी न जा सकी हम से
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है।
ज़िंदगी एक फ़न है लम्हों को
अपने अंदाज़ से गँवाने का।
ख़र्च चलेगा अब मेरा किस के हिसाब में भला
सब के लिए बहुत हूँ मैं अपने लिए ज़रा नहीं।
कितनी दिलकश हो तुम कितना दिल-जू हूँ मैं
क्या सितम है कि हम लोग मर जाएँगे।
*
क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में
जो भी ख़ुश है हम उस से जलते हैं।
उस गली ने ये सुन के सब्र किया
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं।
अपने सब यार काम कर रहे हैं
और हम हैं कि नाम कर रहे हैं।
-
अब मेरी कोई ज़िंदगी ही नहीं
अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या।
=> 03 - जॉन एलिया की ग़ज़लें
काम की बात मैंने की ही नहीं
ये मेरा तौर-ए-ज़िंदगी ही नहीं।
-
सब से पुर-अम्न वाक़िआ ये है
आदमी आदमी को भूल गया
*
रूहों के पर्दा-पोश गुनाहों से बे-ख़बर
जिस्मों की नेकियाँ ही गिनाता रहा हूँ मैं
-
नज़र ने नज़र को नज़र भर के देखा
नज़र को नज़र की नज़र लग गई फिर
हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा
-
क्या ख़बर कौन था वो, और मेरा क्या लगता था
जिससे मिलकर मुझे, हर शख़्स बुरा लगता था
*
मुद्दतें गुज़र गयी 'हिसाब' नहीं किया
न जाने अब किसके कितने रह गए हम
-
कोई दिक्कत नहीं है अगर तुम्हें उलझा सा लगता हूं
मैं पहली मर्तबा मिलने में सबको ऐसा लगता हूं
ऐ शख़्स मैं तेरी जुस्तुजू से
बे-ज़ार नहीं हूँ थक गया हूँ
-
ये कुछ आसान तो नहीं है कि हम
रूठते अब भी हैं मुरव्वत में!
=> 04 - यूँ तो अपने कासिदाने-दिल के पास
आप मुझको बहुत पसंद आईं
आप मेरी क़मीज़ सीजिएगा
-
मत पूछो कितना ग़मगीन हूं, गंगा जी और यमुना जी
ज्यादा तुमको याद नहीं हूं, गंगा जी और यमुना जी
*
शायद मुझे किसी से मोहब्बत नहीं हुई
लेकिन यक़ीन सब को दिलाता रहा हूँ मैं
-
मैं तो ख़ुद में कहीं न था मौजूद,
मेरे लब पर सवाल किस का था!
सफ़री अपने आप से था मैं,
हिज्र* किस का विसाल* किस का था!
-
वो ख़याल-ए-मुहाल किस का था,
आइना बे-मिसाल किस का था!
*
अपना ख़ाका लगता हूँ,
एक तमाशा लगता हूँ !
अब मैं कोई शख़्स नहीं,
उस का साया लगता हूँ !
-
शहर आबाद कर के शहर के लोग,
अपने अंदर बिखरते जाते हैं….
हाँ ठीक है मैं अपनी अना का मरीज़ हूँ.
आख़िर मिरे मिज़ाज में क्यूँ दख़्ल दे कोई.
-
उस गली ने ये सुन के सब्र किया..
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं..
=> 05 - ये तो बस सर ही माँगता है
ज़िन्दगी किस तरह बसर होगी,
दिल नहीं लग रहा मुहब्बत में….
-
ज़िन्दगी किस तरह बसर होगी,
दिल नहीं लग रहा मुहब्बत में….
*
मर गए ख़्वाब सबकी आंखों के,
हर तरफ है गिला हकीक़त का…
-
अब मैं समझा हूँ बेकसी क्या है,
अब तुम्हें भी मेरा ख्याल नहीं….
हाय! ये इश्क़ का ज़वाल के अब,
हिज्र में हिज्र का मलाल नहीं….
मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं
-
कितने ऐश उड़ाते होंगे कितने इतराते होंगे
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे
यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का
वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे
*
ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं
वफ़ा-दारी का दावा क्यूँ करें हम
-
उस गली ने ये सुन के सब्र किया
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं
नया इक रब्त पैदा क्यूँ करें हम
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम
-
महक उठा है आँगन इस ख़बर से
वो ख़ुशबू लौट आई है सफ़र से
=> 06 - वो जो न आने वाला
ऐ शख्स मैं तेरी जुस्तुजू से
बे-जऱ नही हूँ
थक गया हूँ
-
बेदिली क्या यूं ही दिन गुजर जाएंगे,
सिर्फ जिंदा रहे हम तो मर जाएंगे।
*
कौन इस घर की देखभाल करें
रोज एक चीज टूट जाती है
-
रोया हूँ तो अपने दोस्तों में
पर तुझ से तो हँस के ही मिला हूँ।
^
सब दलीलें तो मुझको याद रही
बहस क्या थी उसी को भूल गया।
-
मैं तो बस एक नाम था और मुझे हवाओं में,
धूल पे लिख दिया गया और उड़ा दिया गया।
*
ये हैं एक जब्र इत्तेफ़ाक नहीं
जौन होना कोई मज़ाक नहीं।
-
सो गए पेड़ जग उठी खुशबू
जिंदगी ख्वाब क्यों दिखाती है।
^
अब हमारा मकान किसका है
हम तो अपने मकान के थे ही नहीं।
-
बहुत नज़दीक आती जा रही हो
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या?
=> 07 - जॉन तुम्हें ये दौर मुबारक
मेरी बाहों में बहकने की सजा भी सुन ले,
अब बहुत देर में आज़ाद करूँगा तुझ को
-
गवाई किस तमन्ना में ज़िन्दगी मैंने
वो कौन है जिसे देखा नहीं कभी मैंने
तेरा ख़याल तो है, पर तेरा वजूद नहीं,
तेरे लिए ये महफ़िल सजाई मैंने।
*
आखिरी बार आह कर ली है,
मैंने खुद से निबाह कर ली है
अपने सर इक बाला तो लेनी थी,
मैंने वो ज़ुल्फ़ अपने सर ली हैं।
-
ख़ूब है इश्क़ का ये पहलू भी
मैं भी बर्बाद हो गया तू भी
^
सारे रिश्ते तबाह कर आया,
दिल-ए-बर्बाद अपने घर आया
मैं रहा उम्र भर जुड़ा खुद से,
याद मैं खुद को उम्र भर आया।
-
जो गुज़ारी न जा सकी हम से
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
*
दिल तमन्ना से डर गया जनाब,
सारा नशा उतर गया जनाब।
-
कैसे कहें कि उस को भी हम से है कोई वास्ता
उस ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया
^
यादों का हिसाब रख रहा हूँ
सीने में अज़ाब रख रहा हूँ
तुम कुछ कहे जाओ, क्या कहूं मैं
बस दिल में जवाब रख रहा हूँ
-
कौन इस घर की देख-भाल करे
रोज़ इक चीज़ टूट जाती है
=> 08 - मर चुका है दिल मगर ज़िंदा हूँ मैं
यूँ जो ताकता है आसमान को तू,
कोई रहता है आसमान में क्या ?
यह मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता,
एक ही शख्स था जहां में क्या?
-
अपना खाका लगता हूँ,
एक तमाशा लगता हूँ
अब मैं कोई शख्स नहीं,
उसका साया लगता हुँ।
*
एक हुनर हैं जो कर गया हुँ मैं
सबके दिल से उतर गया हुँ मैं
क्या बताऊँ की मर नहीं पाता,
जीते जी जब से मर गया हुँ मैं।
-
इलाज यह हैं की मजबूर कर दिया जाऊं,
वर्ना यूं तो किसी की नहीं सुनीं मैंने।
^
दिल-ए-बर्बाद को आबाद किया हैं मैंने,
आज मुद्दत में तुम्हे याद किया है मैंने।
-
इतना तो जानता हुँ के अब तेरी आरज़ू,
बेकार कर रहा हुँ अगर कर रहा हुँ मैं।
*
हर शख्स से बे – नियाज़ हो जा
फिर सब से ये कह की मैं खुदा हूँ।
-
मेरा एक मशवरा है इल्तेज़ा नहीं
तू मेरे पास से इस वक़्त जा नहीं।
^
शायद मुझे किसी से मोहब्बत नही हुई
पर यकीन सबको दिलाता रहा हूँ मैं।
-
जाइये और खाक उड़ाइये आप ,
अब वो घर क्या कि वो गली ही नहीं
=> 09 - अब भी आ जाओ जॉन एलिया
रूह प्यासी कहाँ से आती है
ये उदासी कहाँ से आती है
-
दिल है शब दो का तो ऐ उम्मीद
तू निदासी कहाँ से आती है
*
शौक में ऐशे वत्ल के हन्गाम
नाशिफासी कहाँ से आती है
-
एक ज़िन्दान-ए-बेदिली और शाम
ये सबासी कहाँ से आती है
^
तू है पहलू में फिर तेरी खुशबू
होके बासी कहाँ से आती है।
-
तुम जिस ज़मीन पर हो मैं उस का ख़ुदा नहीं
बस सर- ब-सर अज़ीयत-ओ-आज़ार ही रहो
*
बेज़ार हो गई हो बहुत ज़िन्दगी से तुम
जब बस में कुछ नहीं है तो बेज़ार ही रहो
-
तुम को यहाँ के साया-ए-परतौ से क्या ग़रज़
तुम अपने हक़ में बीच की दीवार ही रहो
^
मैं इब्तदा-ए-इश्क़ में बेमहर ही रहा
तुम इन्तहा-ए-इश्क़ का मियार ही रहो
-
तुम ख़ून थूकती हो ये सुन कर ख़ुशी हुई
इस रंग इस अदा में भी पुरकार ही रहो
=> 10 - तुम मेरी जान किस गुमान में हो
मैंने ये कब कहा था के मुहब्बत में है नजात
मैंने ये कब कहा था के वफ़दार ही रहो
-
अपनी मता-ए-नाज़ लुटा कर मेरे लिये
बाज़ार-ए-इल्तफ़ात में नादार ही रहो।
*
जो गुज़ारी न जा सकी हमसे
हमने वो ज़िन्दगी गुज़ारी है
-
मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस
खुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं
^
ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता
एक ही शख्स था जहान में क्या
-
ज़िंदगी किस तरह बसर होगी
दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में
*
बहुत नजदीक आती जा रही हो
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या
-
कौन इस घर की देखभाल करे
रोज़ इक चीज़ टूट जाती है
^
इलाज ये है कि मज़बूर कर दिया जाऊँ
वगरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैंने
-
उस गली ने ये सुन के सब्र किया
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं
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