कान्हा कंबोज की शायरी हिन्दी मे | 399+ BEST Kanha Kamboj Shayari in Hindi
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=> 01 - टॉप Kanha Kamboj Shayari in Hindi With Images
उसके जज्बात मेरी हिचकियो से ये कहने लगे है
अभी वक्त लगेगा तुम्हारी याद आने मे, आजकल वो सुर्खियो मे रहने लगे है
तु जरूरी है हर जरूरत को आजमाने के बाद
तू चलाना मर्जी अपनी मेरे मर जाने के बाद
*
है सितम ये भी के हम उसे चाहते है
वो भी इतना सितम ढाने के बाद
हो इजाजत तो तुझे छू कर देखूं
सुना है मरते नही तुझे हाथ लगाने के बाद
उसे रास्ते मे देखा तो मुस्कुरा दिया देखकर
बहुत रोया मगर घर जाने के बाद
है तौहीन मेरी जो तुम कर रही हो
आवाज उठायी नही जाती सर झुकाने के बाद
*
कितनी पागल है मुझे मेरे नाम से पुकार लिया
मुझे पहचान ने से मुकर जाने के बाद
मुझसे मिलने आओगी ये वादा करो
मुलाकात रकीब से हो जाने के बाद
वैसे हो बढ़े बदतमीज हो तुम ‘कान्हा’
किसी ने कहा अपनी हद से गुजर जाने के बाद
मेरे गमो मे मेरी हिस्सेदार नही लगती
ये लड़की मेरी कहानी का किरदार नही लगती
=> 02 - Kanha Kamboj Shayari Instagram
उसकी फिक्र करूं तो हुकूमत बताती है
यार ये लड़की मुझे समझदार नही लगती
है जानना क्या? बताती है अपने घर मुझे
मगर मेरे घर से उसके घर की दीवार नही लगती
*
मै हकीकत जानता हुँ फिर भी छुपाती है बातें
मुँह पर झूठ बोलती है,यार ईमानदार नही लगती
साँसे चलती है मगर बदन मे हरकत नही होती है, ये खुद को मार कर जीना कैसा है?
और ये शराब मुझे मीठी लगती है,ये बताओ जहर पीना कैसा है?
इस सर्द रात मे ना जाने वो किसका जिस्म ओढ रही है ?
इस सर्दी के मौसम मे मुझे ये पसीना कैसा है?
वो मुझे भुलने की कोशिश बार बार कर रही होगी
मेरी हिचकियो से लगता है वो मुझे याद कर रही होगी
*
वो मुझे प्यार करे या ना करे इस सोच की ऊँच नीच में
मिल गया होगा मेरा कोई पुराना खत अपनी किताब के बीच में
फिर पढ़ उस खत को सिरहने रखा मेरा दिया गुलदस्ता महक गया होगा
आज फिर देख ली होगी मेरी तस्वीर,ये मन बहक गया होगा
आज फिर वो मेरे कांधे पर सर रख वो सोने की आस कर रही होगी
मेरी हिचकियो से लगता है वो मुझे याद कर रही होगी
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आज फिर वो घर मे अकेली हो गयी होगी
या उसकी मम्मी आज फिर से जल्दी सो गयी होगी
=> 03 - Kanha Kamboj Shayari 2 Line
वो मेरे फोन का इंतजार कर रही होगी
मेरा ‘Last seen’ चेक बार बार कर रही होगी
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मेरी दी हुई पायल का शोर आज उसे परेशान कर रहा होगा
उसके जज्बातो से लिखा खत,आज उसे् ही बेजुबान कर रहा होगा
*
अपने आप को लाचार साबित वो बार बार कर रही होगी
मेरी हिचकियो से लगता है वो मुझे याद कर रही होगी
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सारी रात उसे छूने से डरता रहा,मै बेबस,बेचैन बस करवटें बदलता रहा
हाथ तो मेरा ही था उसके हाथ में,बस बात ये है कि जिक्र किसी ओर का चलता रहा
डर था स्याह रातो से मै पर उस चाँद से इश्क का चढ अब खुमार रहा था
इक रोज लिपट कर सोई थी वो गैर से, उस सर्द रात मुझे बहुत तेज बुखार रहा था
मालूम ना थी बेवफाई खुद के महबूब की, और मै शहर के हर घर मे बाँट अखबार रहा था
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जो कभी जेहन तक में तस्लीम था वो नजरो तक से गिर गया है
वो बता रहा है हद मे रहो,जो अपनी हद से गुजर गया है
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हिफाजत दुशमनो से तो कर लेते,कोई अपना दुशमनी पे उतर गया है
मेरे हक में जो दलीले थी फिजूल है अब,मेरा गवाह गवाही देने से मुकर गया है
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गिरा ले मुझे अपनी नजरों से कितना ही
झुकने पर तो मजबूर मै तुझे भी कर दूंगा
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एक बार बदनाम करके तो देख मुझे महफिल में
कसम से शहर मे मशहूर मै तुझे भी कर दूंगा
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खामोशी का अपना मजा है, लब्ज कोई बहरा नही देखा जाता
तेरी आँखों पर काजल की गिरफ्त तो ठीक थी,ये आंसुओ का पहरा नही देखा जाता
अपने हिस्से की खुशियां लुटा दु में तुझपर
तेरा उतरा हुआ चेहरा नही देखा जाता
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