राहत इंदौरी की शायरी हिन्दी मे | 99+ BEST Rahat Indori Shayari in Hindi
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=> 01 - टॉप Rahat Indori Shayari in Hindi With Images
जवानिओं में जवानी को धुल करते हैं,
जो लोग भूल नहीं करते, भूल करते हैं,
अगर अनारकली हैं सबब बगावत का,
सलीम हम तेरी शर्ते कबूल करते हैं।
लवे दीयों की हवा में उछालते रहना,
गुलो के रंग पे तेजाब डालते रहना,
में नूर बन के ज़माने में फ़ैल जाऊँगा,
तुम आफताब में कीड़े निकालते रहना।
*
शहर क्या देखें कि हर मंज़र में जाले पड़ गए,
ऐसी गर्मी है कि पीले फूल काले पड़ गए।
रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं,
चाँद पागल हैं अन्धेरें में निकल पड़ता हैं,
उसकी याद आई हैं सांसों, जरा धीरे चलो,
धडकनों से भी इबादत में खलल पड़ता हैं।
रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं,
चाँद पागल हैं अन्धेरें में निकल पड़ता हैं,
उसकी याद आई हैं सांसों, जरा धीरे चलो,
धडकनों से भी इबादत में खलल पड़ता हैं।
कही अकेले में मिलकर झंझोड़ दूँगा उसे,
जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूँगा उसे,
मुझे वो छोड़ गया ये कमाल है उस का,
इरादा मैंने किया था की छोड़ दूँगा उसे।
*
सरहदों पर तनाव हे क्या,
ज़रा पता तो करो चुनाव हैं क्या,
शहरों में तो बारूदो का मौसम हैं,
गाँव चलों अमरूदो का मौसम हैं।
ये हादसा तो किसी दिन गुज़रने वाला था,
मैं बच भी जाता तो इक रोज़ मरने वाला था।
आग के पास कभी मोम को लाकर देखूँ,
हो इज़ाज़त तो तुझे हाथ लगाकर देखूँ,
दिल का मंदिर बड़ा वीरान नज़र आता है,
सोचता हूँ तेरी तस्वीर लगाकर देखूँ।
कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं,
कभी धुएं की तरह पर्वतों से उड़ते हैं,
ये केचियाँ हमें उड़ने से खाक रोकेंगी,
की हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं।
=> 02 - Rahat Indori Shayari Urdu
ये दुनिया है इधर जाने का नईं,
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर,
मगर हद से गुजर जाने का नईं।
साँसे हैं हवा दी है, मोहब्बत है वफ़ा है,
यह फैसला मुश्किल है कि हम किसके लिए हैं,
गुस्ताख ना समझो तो मुझे इतना बता दो,
अपनों पर सितम है तो करम किसके लिए हैं।
*
हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं,
मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिन्दुस्तान कहते हैं,
जो दुनिया में सुनाई दे उसे कहते हैं खामोशी,
जो आँखों में दिखाई दे उसे तूफान कहते हैं।
अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर हैं, शहरों में फ़साने मेरे।
अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ,
ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे कि उड़ा भी न सकूँ,
फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया,
ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ।
है सादगी में अगर यह आलम,
के जैसे बिजली चमक रही है,
जो बन संवर के सड़क पे निकलो,
तो शहर भर में धमाल कर दो।
*
सफ़र की हद है वहाँ तक की कुछ निशान रहे,
चले चलो की जहाँ तक ये आसमान रहे,
ये क्या उठाये कदम और आ गयी मंजिल,
मज़ा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे।
तन्हाई ले जाती है जहाँ तक याद तुम्हारी,
वही से शुरू होती है ज़िन्दगी हमारी,
नहीं सोचा था चाहेंगे हम तुम्हे इस कदर,
पर अब तो बन गए हो तुम किस्मत हमारी।
साँसों की सीडियों से उतर आई जिंदगी,
बुझते हुए दिए की तरह जल रहे हैं हम,
उम्रों की धुप, जिस्म का दरिया सुखा गई,
हैं हम भी आफताब, मगर ढल रहे हैं हम।
-
मेरी ख्वाहिश है कि आंगन में न दीवार उठे,
मेरे भाई, मेरे हिस्से की जमीं तू रख ले
कभी दिमाग, कभी दिल, कभी नजर में रहो,
ये सब तुम्हारे घर हैं, किसी भी घर में रहो।
=> 03 - Rahat Indori Shayari On Life
कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं,
कभी धुएं की तरह पर्वतों से उड़ते हैं,
यह क्या हमें उड़ने से खाक रोकेंगे
कि हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं।
-
तेरी हर बात मोहब्बत में गँवारा करके,
दिल के बाज़ार में बैठे हैं खसारा करके,
मैं वो दरिया हूँ कि हर बूंद भंवर है जिसकी,
तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके।
*
नयी हवाओं की सोहबत बिगाड़ देती हैं,
कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती हैं,
जो जुर्म करते है इतने बुरे नहीं होते,
सज़ा न देके अदालत बिगाड़ देती हैं।
-
आग के पास कभी मोम को लाकर देखूँ,
हो इज़ाज़त तो तुझे हाथ लगाकर देखूँ,
दिल का मंदिर बड़ा वीरान नज़र आता है
सोचता हूँ तेरी तस्वीर लगाकर देखूँ।
जा के ये कह दे कोई शोलों से चिंगारी से इश्क़ है
फूल इसबार खिलेगी बड़ी तैयारी है
मुदात्तो क बाद यु तब्दिल हुआ है मौसम
जैसे छुटकारा मिली हो बीमारी से।
-
दिलों में आग, लबों पर गुलाब रखते हैं,
सब अपने चहेरों पर, दोहरी नकाब रखते हैं,
हमें चराग समझ कर भुझा ना पाओगे,
हम अपने घर में कई आफ़ताब रखते हैं।
*
यही ईमान लिखते हैं, यही ईमान पढ़ते हैं,
हमें कुछ और मत पढवाओ, हम कुरान पढ़ते हैं,
यहीं के सारे मंजर हैं, यहीं के सारे मौसम हैं,
वो अंधे हैं, जो इन आँखों में पाकिस्तान पढ़ते हैं।
-
इश्क ने गूथें थे जो गजरे नुकीले हो गए,
तेरे हाथों में तो ये कंगन भी ढीले हो गए,
फूल बेचारे अकेले रह गए है शाख पर,
गाँव की सब तितलियों के हाथ पीले हो गए।
इश्क ने गूथें थे जो गजरे नुकीले हो गए,
तेरे हाथों में तो ये कंगन भी ढीले हो गए,
फूल बेचारे अकेले रह गए है शाख पर,
गाँव की सब तितलियों के हाथ पीले हो गए।
-
जा के ये कह दो कोई शोलो से, चिंगारी से
फूल इस बार खिले है बड़ी तय्यारी से,
बादशाहों से भी फेंके हुए सिक्के ना लिए
हमने ख़ैरात भी माँगी है तो ख़ुद्दारी से।
=> 04 - राहत इंदौरी की ग़ज़ल
तुम्हें किसी की कहाँ है परवाह,
तुम्हारे वादे का क्या भरोसा,
जो पल की कह दो तो कल बना दो,
जो कल की कह दो तो साल कर दो।
-
लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,
पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,
उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,
और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।
*
लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,
पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,
उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,
और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।
-
अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझको,
वहाँ पर ढूंढ रहे हैं जहाँ नहीं हूँ मैं,
मैं आईनों से तो मायूस लौट आया था,
मगर किसी ने बताया बहुत हसीं हूँ मैं।
जो छेड़ दे कोई नगमा तो खिल उठें तारे,
हवा में उड़ने लगी रोशनी के फव्वारे,
आप सुनते ही नजरों में तैर जाते हैं,
दुआएं करते हुए मस्जिदों के मीनारें।
-
किसने दस्तक दी है दिल पर कौन है ,
आप तो अंदर हैं, बाहर कौन है।
*
जहाँ से गुजरो धुआं बिछा दो,
जहाँ भी पहुंचो धमाल कर दो,
तुम्हें सियासत ने हक दिया है,
हरी जमीनों को लाल कर दो।
-
फैसला जो कुछ भी हो, मंज़ूर होना चाहिए,
जंग हो या इश्क़ हो, भरपूर होना चाहिए।
मैं एक गहरी ख़ामोशी हूँ आ झिंझोड़ मुझे,
मेरे हिसार में पत्थर-सा गिर के तोड़ मुझे,
बिखर सके तो बिखर जा मेरी तरह तू भी,
मैं तुझको जितना समेटूँ तू उतना जोड़ मुझे।
-
प्यार के उजाले में गम का अँधेरा क्यों है,
जिसको हम चाहे वही रुलाता क्यों है,
मेरे रब्बा अगर वो मेरा नसीब नहीं तो,
ऐसे लोगो से हमे मिलता क्यों है।
=> 05 - राहत इंदौरी शायरी हिंदी 4 लाइन
धनक है, रंग है, एहसास है की खुशबू है,
चमक है, नूर है, मुस्कान है के आँसू है,
मैं नाम क्या दूं उजालों की इन लकीरों को
खनक है, रक्स है, आवाज़ है की जादू है।
-
तुम ही सनम हो, तुम ही खुदा हो,
वफा भी तुम हो तुम, तुम ही जफा हो,
सितम करो तो मिसाल कर दो,
करम करो तो कमाल कर दो।
*
फैसला जो कुछ भी हो, हमें मंजूर होना चाहिए,
जंग हो या इश्क हो, भरपूर होना चाहिए,
भूलना भी हैं, जरुरी याद रखने के लिए,
पास रहना है, तो थोडा दूर होना चाहिए।
-
ये सहारा जो नहीं हो तो परेशान हो जाएँ,
मुश्किलें जान ही लेलें अगर आसान हो जाएँ,
ये जो कुछ लोग फरिश्तों से बने फिरते हैं,
मेरे हत्थे कभी चढ़ जाएँ तो इंसान हो जाएँ।
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो,
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो,
एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो।
-
मेरी सांसों में समाया भी बहुत लगता है,
और वही शख्स पराया भी बहुत लगता है,
उससे मिलने की तमन्ना भी बहुत है लेकिन
आने जाने में किराया भी बहुत लगता है।
*
लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के सँभलते क्यूँ हैं,
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूँ हैं।
-
सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहें,
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें,
शाखों से टूट जाए वो पत्ते नहीं हैं हम,
आंधी से कोई कह दे की औकात में रहें।
विश्वास बन के लोग ज़िन्दगी में आते है,
ख्वाब बन के आँखों में समा जाते है,
पहले यकीन दिलाते है की वो हमारे है,
फिर न जाने क्यों बदल जाते है।
-
अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।
=> 06 - राहत इंदौरी शायरी रेख़्ता
❝ बेवफा से वफ़ा की उमीद रखी थी
कांतो से खुसबू की उमीद रखी थी
मोहबत में दिल टूटने की उमीद रखी थी
खुदा से दो गाज़ ज़मीन की उमीद रखी थी ❞
-
❝ मेरे चेहरे पे कफ़न ना डालो,
मुझे आदत आदत है मुस्कुरा ने की,
मेरी लाश को ना दफ़नाओ,
मुझे उम्मीद है उस के आने की. ❞
*
❝ उमीदे टूटी तो उमीद करना छोड़ दिया,
सपने टूटे तो सपने देखना छोड़ दिया,
जबसे दिल टूटा है, साँसे तो ले रहे है,
पर अब हुँने जीना छोड़ दिया ❞
-
❝ नींद उड़ा कर मेरी कहते है वो कि सो जाओ कल बात करेंगे,
अब वो ही हमें समझाए कि कल तक हम क्या करेंगे ❞
❝ जानता हूँ मे मेरा वक़्त मुजपे बेरहेम है
मरहम तो ना मिला मिले पल पल तो बस ज़ख़्म है
इस दुनिया से मे उमीद क्या रखूं
दुनिया भी तो उमीद पे कायम है . ❞
-
❝ जब खुदा ने इश्क बनाया होगा,
तब उसने भी इसे आजमाया होगा..
हमारी औकात ही क्या है,
कमबख्त इश्क ने तो
खुदा को भी रुलाया होगा! ❞
*
❝ मिट चले मेरी उम्मीदों की तरह हरफ़ मगर
आज तक तेरे खातों से तेरी खुश्बू ना गई ❞
-
❝ कुछ कटी हिम्मत-ए-सवाल में उम्र
कुछ उम्मीद-ए-जवाब में गुज़री – ❞
^
❝ “सिर्फ एक “दिल” ही है जो बिना
आराम किये सालों काम करता है
,इसे हमेशा “खुश” रखिये ,
चाहे ये आपका हो या आपके अपनों का ❞
-
❝ यूँ तो हर शाम उम्मीदों पे गुज़र जाती थी
आज कुच्छ बात है जो शाम पे रोना आया ❞
=> 07 - राहत इंदौरी शायरी हिंदी 1 लाइन
❝ ये अच्छा है के आपस के भरम ना टूटने पाएँ
कभी भी दोस्तों को आज़मा कर कुच्छ नहीं मिलता ❞
-
❝ उठा कर तलवार जब घोड़े पे सवार होते
बाँध के साफ़ा जब तैयार होते
देखती है दुनिया छत पे चढ़के
कहते है की काश हम भी ऐसे होशियार होते… ❞
*
❝ दिल को तेरी ही तमन्ना,
दिल को है तुझ से ही प्यार,
चाहे तू आए ना आए,
हं करेंगे इंतेजार… ❞
-
❝ तुझसे उमीद ही बेवफा निकली आए खुद को वफ़ा कहने वाली,
की सोचता हूँ क्या तुझपे मेने जान लुटाई इस कदर !! ❞
^
❝ उगता हुआ सूरज दुआ दे आपको
खिलता हुआ फूल खुशबू दे आपको
हम तो कुछ भी देने के काबिल नहीं,
देनेवाला हज़ार खुशिया दे आपको! ❞
-
❝ जिनसे उमीद करी थी जो आएँगे
और मेरी कब्र सजाएँगे,
वो ही मेरी कब्र के
पठार चुरा के ले गये ❞
*
❝ सफ़र ज़िंदगी का बहुत ही हसीन है
सभी को किसी न किसी की तलाश हैं
किसी के पास मंज़िल हैं तो राह नही
और जिसके पास राह हें तो मंज़िल नही ❞
-
❝ सौ सौ उम्मीदें बाँधती हैं इक इक निगाह पर
मुझ को ना ऐसे प्यार से देखा करे कोई – ❞
^
❝ दिल पे उनके अपनी जीत हो जाए
पूरी दिल की उमीद हो जाए
वो जो आ के एक बार गले से लग जाएँ
तो फिर हमारी ईद हो जाए? ❞
-
❝ उम्मीद-ए-शिफा भी नहीं बीमार को तेरे
अल्लाह से मायूस हुआ भी नहीं जाता ❞
=> 08 - राहत इंदौरी शायरी हिंदी २ लाइन
❝ सपनो से दिल लगाने की आदत नही रही,
हर वक़्त मुस्कुराने की आदत नही रही,
ये सोच के की कोई मनाने नही आएगा,
अब हमे रूठ जाने की आदत नही रही… ❞
-
❝ छ्चीन गई आख़िरी उमीद भी दिल से “आसार”
ये सहारा है की अब कोई सहारा ना रहा ❞
*
❝ एक दिन हम भी कफ़न ओढ़ जाएँगे…..
हर एक रिश्ता इस ज़मीन से तोड़े जाएँगे……
जितना जी चाहे सतालो यारो……
एक दिन रुलाते हुए सबको छोड़ जाएँगे…… ❞
-
❝ वाबस्ता हो गयी थी कुछ उमीदान आप से
उमीदों का चीरघ बुजाने क शुक्रिया ❞
^
❝ हम उनको मनाने आएंगे
उनको उम्मीद अजब की है
वो खुद चल कर आएंगे
हमारी भी जिद्द गज़ब की है ❞
-
❝ जहाँ हिम्मत समाप्त होती है.
वहीँ हार की शुरुआत होती है.
आप धीरज मत खोइए.
अपना कदम फिर से उठाइए. ❞
*
❝ तर्क-ए-उम्मीद बस की बात नहीं
वरना उम्मीद कब बार आती है ❞
-
❝ तोड़ दो हर वो ख्वाब
हर ख्वाहिस तोड़ दो
मुझसे तो तुमने की
वो उमीद छोड़ दो . ❞
^
❝ कहते हैं जीते हैं उम्मीद पे लोग
हम को जीने की भी उम्मीद नहीं ❞
-
❝ कागज़ पर रख कर खाना खाये तो भी कैसे….
खून से लथपथ आता है अखबार आजकल! ❞
=> 09 - राहत इंदौरी शायरी इन हिंदी पीडीएफ
❝ चलता था कभी हाथ मेरा थाम कर जिस पर
करता हा बोहोत याद वो रास्ता उसे कहना
उमीद वो रखे ना किसी ओर से साहिल
हर शख्स मोहब्बत नही करता उसे कहना . ❞
-
❝ हम से केरते हैं उमीद के
हम उन के आँसू पोच्चें
कभी हम से है पुचछा के
हूमें दर्द क्या है ❞
*
❝ इतनी आसानी से केसे भूल जाता है कोई,
रह-रह कर क्यो याद आता है कोई,
उमर भर याद करते रहेगे आको,
देखते है कब तक हमे भूलता है कोई….. ❞
-
❝ इलाही काम-याबी रह-नुमा हो
कोई उम्मीद-वाराना चला है ❞
^
❝ वादा करते हैं दोस्ती निभाएँगे
कोशिश यही रहेगी तुझे ना सत्याएंगे
ज़रूरत पड़े तो दिल से पुकारना
मार भी रहे होंगे तो मोहलत लेकर आएँगे ❞
-
❝ कहते है जीते हैं उमीद पे लोग
हम को जीने की भी उमीद नही.. ❞
*
❝ शाम होने से पहले लौट आना,
हम तेरे इंतजार में हैं,
सुबह शाम रहती है तेरे दीदार की उमीद,
अगर ना लौट पाओ तो बस इतना कर देना,
मेरी आखरी सांस होने से पहले ही लौट आना . ❞
-
❝ गाज़ाब का प्यार था उस की उदास आँखों में
गुमान तक ना हुवा क वो बिचड़ने वाली है.!! ❞
^
❝ उसी रह पर हम उमीद
लेकर बेथेन हैं किी वो आयेंगे,
मौत को भी गुज़ारिश
की तोड़ा इंतज़ार कर ले ❞
-
❝ सारी उम्मीद रही जाती है
हाय, फिर सुबह हुई जाती है ❞
=> 10 - राहत इंदौरी शायरी हिंदी Image
❝ कोई उमीद भीइ बाक़ी ना रही ज़िंदगी मे अब
वो छ्छूद के चले गये दामन को झाड़ के
निगाहे आस से तकती हैं झलक पाने को
ये दिल हिी जानता है अब कभी ना होगी सुबह ❞
-
❝ रही ना ताक़त-ए-गुफ्टार और अगर हो भी
तो किस उम्मीद पे कहिए के आरज़ू क्या है ❞
*
❝ मेरे मूह पे कफ़न ना पाना,
मुझे आदत है मुस्कुराने कि
मुझे यु मिट्टी मे ना दबाना,
मुझे उमीद है किसी के आने कि . ❞
-
❝ एक बार ज़िंदगी अची लगे थी उस वक़्त मुझी,
जुब उस ने शर्मा कर तभा किया था मुझी.. ❞
^
❝ तुम ऐसे कौन खुदा हो की उम्र भर तुम से
उम्मीद भी रकखूं ना-उम्मीद भी ना रहूं ❞
-
❝ खाता ये हुई की तुम से उम्मेद लगा बैठे,
पता क्या था, हो मोहताज तुम भी मेरे तरह……! ❞
*
❝ कुच्छ उम्मीद-ए-करम में गुज़री उम्र
कुच्छ उम्मीद-ए-करम में गुज़रेगी ❞
-
❝ फर्र’फर्राटा है जो दिन रात मेरे सीने में,
अब यही ऐक परिंदा है रहा करने को.. ❞
^
❝ एक उमीद के सहारे जीआई जा रहै हैं,
एक घूम-ए-जुदाई के रास्ते पे चले जा रहाहं.
यह ज़िंदगी ही या शबाब का पेयमना,
क़िस्मत मैं है पीना आए अहील पेआ जा रहै हैं! ❞
-
❝ मुँहासीर मरने पे हो जिस की उम्मीद
ना-उम्मीडी उस की देखा चाहिए ❞
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