आँखें शायरी हिन्दी मे | 99+ BEST Aankhen Shayari in Hindi
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=> 01 - टॉप Aankhen Shayari in Hindi With Images
शबनमी आंखें हैं उसकी, हर बार मुझे दीवाना बना देती हैं।
एक बार गलती से देख लिया था तेरी आँखों को, अब तक होश में नहीं हूं।
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असल इश्क़ तो तेरे आँखो से हुआ मुझे और तो बस यूँही था।
अजब किस्सा है इन तेरी नजरों का, हर बार मुझपे वार कर के चली जाती हैं।
मुझे अपना बना लेती हैं ये तेरी आंखें, ये बड़ी चोर हैं मुझे चुरा लेती हैं ये तेरी आंखें।
झील सी है ये तेरी आंखें, हर बार देख कर डूब जाता हूं इनमे।
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मैं यूँही मयखाने में जाता रहा नशा ढूंढ़ने, मुझे तेरी आँखो कातो याद हीनहीं आया।
मेरी मोहब्बत में किसी का सबसे ज्यादा नाम हुआ है वो है आंखें।
मैने सोचा बिन बताए अबउन्हे बताने कि कोशिश करूंगी, उन्होंने मेरे बिना कुछ करे आँखो से सब समझ लिया।
मैं सरे बाजार उनसे चेहरा छिपा कर गुज़र रहीथी, आँखो ने मुझे बेनकाब कर दिया।
=> 02 - Aankhen Shayari in Hindi 2 Line
मैं सरे बाजार उनसे चेहरा छिपा कर गुज़र रहीथी, आँखो ने मुझे बेनकाब कर दिया।
आँखे बताती है की किस दर्द से गुज़रा है ये शख्स।
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हर सुबह इन आँखों को तुम्हारा दीदार होता है, और अब दुनिया में किसी और का दीदार नहीं करना।
खूबसूरती सूरत में नहीं होती है, देखने वालों की आँखों में होती है।
आँखें बहुत राज़ बतलाती है, बस पढ़ने आनी चाहिए।
अकसर मेरे ख्वाब भीग जाते है, जब उसकी आँखों से आँसूं निकलते है।
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शर्मिंदा हो जाती है अक्सर वो आँखें। जिनमे हया छुपी होती है।
आईना आंखों के राज़ बयां करता है, जाने क्यों किसी अपने के दिए ज़ख्म बयां करता है।
मैं तुम्हें भूल सकता हूँ, तुम्हारी आँखों को नहीं। तुम मुझ से दूर जा सकते हो, मेरी यादों से नहीं।
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कुछ जादू है उनकी आँखों में, इशारों से घायल हजारों हो जाते है।
=> 03 - आँखें शायरी २ लाइन
हम अपनी आँखों को भूल सकते है, लेकिन उनकी आँखों को नहीं भुला सकते।
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आँखों की बातें आँखों से समझ लेते है, जो प्यार करते है वो हद से गुजर जाते है।
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आँखों की बातें आँखों से समझ लेते है, जो प्यार करते है वो हद से गुजर जाते है।
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इश्क़ आँखों से की जाती है, बातों में क्या रखा है।
जो ज़ुबान से हमारी बात नहीं समझते, वो आँखों से क्या समझेंगे।
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जब दिल खामोश हो जाते है, तब आँखों से ही बातें होती है।
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तुमने होठों पर छुपाये रखा, मैंने आँखों से सारी बात पढ़ ली।
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अब तुम्हारी आँखों की खूबसूरती का क्या कहूं, अँधेरी रात में दो-दो चाँद खिला हो जैसे।
आँखें तुम्हारी आज भी गुमराह कर जाती है, कोसना चाहता हूँ जबरन तुम्हें बेवफा कह कर।
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तुमसे नज़रें क्या मिली, तीर दिल के पार चली गई।
=> 04 - गुलाबी आँखें शायरी
आँखों में अपने समंदर समेटा हूँ, ऐ ज़ालिम तू मेरे ज़ख्मों को मत खुरेद।
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हम तो फना हो गए उनकी आँखें देखकर
ग़ालिब न जाने वो आइना कैसे देखते होंगे !!
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हम मोहब्बत का सबक़ भूल गए
तेरी आँखों ने पढ़ाया क्या है !!
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जब बिखरेगा तेरी गालों पे तेरी आँखों का पानी
तब तुझे एहसास होगा की मोहब्बत किसे कहते है !!
हम अल्फ़ाज़ों को ढूँढ़ते रह गए
और वो आँखों से ग़ज़ल कह गये !!
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सागर से गहरी हैं आपकी ये नजरें
खुशियों की शहनाई हैं आपकी ये नजरें
हुस्न का जाम हैं आपकी ये नजरें
छुपायें कई अरमान आपकी ये नजरें
ले ले न कहीं हमारी जान आपकी ये नजरें !!
*
चख के देख ली दुनिया भर की शराब की बोतलें
जो नशा तेरी आँखों में था वो किसी में नहीं !!
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तेरी आँखों में बहुत गहराई है
पर आशिक़ो के लिए तबाही है !!
मेरी इन पागल आँखों को
लत लग गयी तुझे देखने की !!
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बहुत अंदर तक तबाही मचाता है
वो आँसू जो आँखों से बह नहीं पता है !!
=> 05 - रोती हुई आँखें शायरी
सुना है तेरी आँखों मैं सितारे जगमगाते हैं इजाज़त
हो तो मैं भी अपने दिल मै रोशनी कर लों !!
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जो आँख भी मिलाने की इजाज़त नहीं देता
दिल उसको ही निगाहों में बसाने पर तुला है !!
*
सुकून की तलाश में तुम्हारी आँखों में झाँका था किसे
पता था कम्बखत दिल का दर्द और मिल जाएगा !!
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उफ्फ ये झील जैसी आंखे तेरी
इसमें तैरूं या डूबकर मर जाऊं !!
ये तमाशा सरेआम करती है
तुम्हारी कातिल निगाहे
आशिको के कत्ल-ए-आम करती है !!
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तुम्हारी निगाहें बहुत बोलती हैं जरा
अपनी आँखों पे पलके गिरा दो !!
*
आंखे देखती ही नहीं बाते भी करती हैं
खामोश शब्दों से इशारों ही इशारों में !!
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पलके क्या बंद की दीदार तुम्हारा हो गया
इन आंखों में नींद नहीं बस तुम रहते हो !!
अब तो उसे मिलना और भी ज़रूरी हो गया है
सुना है उसकी आँखों मैं मेरा अक्स नज़र आता है !!
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मैं डर रहा हूँ तुम्हारी नशीली आँखों से
कि लूट लें न किसी रोज़ कुछ पिला के मुझे !!
=> 06 - आँखों पर शायरी रेख़्ता
हर बार ये करामात दिखा जाती है अंखियां
मैं चुप रहती हूं और बता जाती हैं अंखियां !!
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जो सुरूर है तेरी आँखों में वो बात कहां मैखाने में
बस तू मिल जाए तो फिर क्या रखा है ज़माने में !!
*
तेरी हर अदा नशीली है इतनी की
किसी और नशे की जरुरत ही न पड़े
डूब जाना चाहता हु तेरी आँखों में
इतना की निकलने की जरुरत न पड़े
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मुझे देखते ही शर्मा कर झुक जाते हैं तेरे नैना
बहुत भाता है मुझे तेरा इस तरह मुझे
दीवाना करना !!
^
रात गुजारी फिर महकती सुबह आई दिल धड़का
फिर तुम्हारी याद आई आँखों ने महसूस किया
उस हवा को जो तुम्हें छु कर हमारे पास आई !!
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ना जाने कौन सा जादू है तेरी बाहों में
शराब सा नशा है तेरी आँखों में
तेरी तलाश में तेरे मिलने की आस लिए
दुआऐं मांगता फिरता हूँ मैं दरगाहों में !!
*
तेरे होंठो पर जो मुस्कान छाई है
तेरी आंखों में जो चमक आई है
हो ना हो तेरे चेहरे पर ये रंगत
मेरे प्यार की वजह से ही आई है !!
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उसकी आँखें सवाल करती हैं
मेरी हिम्मत जवाब देती है !!
^
रुख़्सत करने के आदाब निभाने ही थे
बंद आँखों से उस को जाता देख लिया है !!
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मेरी धड़कन मेरी जान हो तुम
निगाहों का देखा हर ख्वाब हो तुम
तारीफ क्या करूं तुम्हारी
हर अदा से लाजवाब हो तुम !!
=> 07 - झुकी पलकों पर शायरी
क्या कशिश थी तुम्हारी आँखों मे
तुझको देखा और तेरा हो गया !!
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बिना पूछे ही सुलझ जाती हैं सवालों की गुत्थियाँ
कुछ आँखें इतनी हाज़िर-जवाब होती हैं !!
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तुझसे दूर हुए तो रह ना पाएंगे
अपना दर्द हम कह ना पाएंगे
कभी दूर जाने की बात ना कहना
वरना अभी मेरे नैन बरस जाएंगे !!
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नींद को आज भी शिकवा है मेरी आँखों से मैंने
आने न दिया उसको कभी तेरी याद से पहले !!
^
नींद को आज भी शिकवा है मेरी आँखों से मैंने
आने न दिया उसको कभी तेरी याद से पहले !!
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जब से तू मेरे दिल में समाया है
मेरी निगाहों को सिर्फ तेरा ख्वाब आया है
तेरी जुबां पर मेरा नाम आये ना आये
मेरी तो हर सांस में तेरा नाम आया है !!
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हज़ार बार मरना चाहा निगाहों मैं डूब कर
हमने वो निगाहें झुका लेते हैं हमें मरने नहीं देते !!
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इकरार में शब्दों की एहमियत नहीं होती
दिल के जज़्बात की आवाज़ नहीं होती
आँखें बयान कर देती है दिल की दास्तान
मोहब्बत लफ्जों की मोहताज नहीं होती !!
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तेरे दिल के सारे राज खोलती है
तुझसे ज्यादा तेरी आंखे बोलती है !!
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मेरे बस में अगर होता हटा कर चाँद तारों को
मैं नीले आसमां पे बस तेरी आँखें बना देता !!
=> 08 - आँखों पर चश्मा शायरी
आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा
वक़्त का क्या है गुजरता है गुजर जाएगा !!
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तेरी निगाहों के जाल में ऐसा फंस गया
ना चाहते हुए भी सिर्फ तेरा हो गया
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हर बार तेरी मुस्कुराती आँखों को देखता हूँ
चला आता हूँ तेरे पास ख़यालों में उड़ते हुए !!
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ये जो नज़रों से तुम मेरे दिल पर वार करते हो
करते तो ज़ूल्म हो साहिब मगर कमाल करते हो !!
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तुमने कहा था आँख भर के देख लिया करो मुझे
अब आँख भर आती है पर तुम नज़र नहीं आते !!
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मुझसे जब भी मिलो नजरें उठाकर मिलो मुझे
पसंद है अपने आप को तुम्हारी आँखों में देखना !!
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अपनी तस्वीर को आँखों से लगाता क्या है
एक नज़र मेरी तरफ देख तेरा जाता क्या है !!
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तेरे बिन बोले ही मुझे मेरे प्यार का जवाब
मिल गया तेरी नज़रे झुकी और हमारे प्यार का
फूल खिल गया !!
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आपकी आँखें उठी तो दुआ बन गई आपकी आँखें
झुकी तो अदा बन गई झुक कर उठी तो हया
बन गई उठ कर झुकी तो सदा बन गई !!
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पर्दा करती हो तो करो
हम तो फिर भी मोहब्बत करेंगे
भला जिसकी आंखे इतनी खूबसूरत हो
तो सूरत तो माशाल्लाह होगी !
=> 09 - जो उनकी आँखों से बयां होते हैं, वो लफ्ज़ शायरी में कहाँ होते हैं
इश्क के फूल खिलते हैं तेरी खूबसूरत आँखों में
जहाँ देखे एक नजर वहाँ खुशबू बिखर जाए !!
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बात जो भी दिल में मुझसे सारी कहना चाहे
कितनी भी नाराजगी हो नेत्रों के सामने ही रहना
बहुत दूरी सह ली हमने अब एक पल कि भी
जुदाई नहीं है सहना !!
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ये आईने नही दे सकते तुम्हे तुम्हारी खूबसूरती
की सच्ची ख़बर कभी मेरी इन आँखों में
झांक कर देखो की कितनी हसीन हो !!
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यूँ ही अंखियों में तेरी मेरी बात चली
बात यहां तक पहुंची मैंने तेरे बिना
जीना सिख लिया !!
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न जाने क्या कशिश है उसकी मदहोश
आँखों में नज़र अंदाज़ जितना भी करों
नज़र उसी पर जाती है !!
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तुम छुपाते जरूर हो मुझसे पर तेरी आंखें बोल देती है
तुम्हारे दिल के सारे राज मेरे सामने खोल देती है !!
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तुम्हारी याद में आँखों का रतजगा है
कोई ख़्वाब नया आए तो कैसे आए !!
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मेरे होठों ने हर बात छुपा कर रखी थी
आँखों को ये हुनर कभी आया ही नहीं !!
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झील अच्छी कमल फूल अच्छा की जाम अच्छा
है तेरी आँखों के लिए कौन सा नाम अच्छा है !!
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इशारों के ऐसे तामझाम करते हैं
तुम्हारी आंखें हर रोज कत्ल-ए-आम करते हैं !!
=> 10 - नैन पर शायरी
वो कहने लगी नकाब में भी पहचान लेते हो
हजारों के बीच मैंने मुस्करा के कहा तेरी
आँखों से ही शुरू हुआ था इश्क हज़ारों के बीच !!
-
हमेशा जो खुद को सजाये रखते हैं
अंदर और ही हुलिया बनाये रखते हैं
पत्थर आँखें ही दिखाई देती हैं और
दिल में एक दरया सा रुकाये रखते हैं !!
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मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूँ वो ग़ज़ल
आपको सुनाता हूँ एक जंगल है तेरी आँखों
में मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ !!
-
जब जुबान पर पाबंदी लग जाती है
तो बिना अल्फाज कहे नजरे
सब कुछ बयां कर जाती है..!
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दुश्मन बनी बैठी है यह
शहर भर की इमारते
जब से एक महबूब
की आंखें गली से लड़ी है..!
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कभी तो मेरी आंखें
पढ़ लिया करो
इनमे तुम्हारा
इश्क नजर आता है..!
*
छोड़ दो करना मेरी
इन आंखो की तारीफे
तुम जब मेरे इश्क की
गहराई ना देख सके..!
-
बड़ी दिलकश ग़ज़ल सुनाती है वो
तेरी नीलकमल के फूल जैसी आंखे..!
^
उठती नहीं नजरें उसकी
शर्म से जब लाल होती है।
मेरा दिल जोर से धड़कता है
जब वो मेरे साथ होती है।
-
नज़रों से उसके
शर्म और हवा बहती है।
आंसूओं से उसकी
मासूमियत कहती हैं।
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