अल्फ़ाज़ शायरी हिन्दी मे | 299+ BEST Alfaaz Shayari in Hindi

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=> 01 - टॉप Alfaaz Shayari in Hindi With Images


कहने को शब्द नही लिखने को भाव नही

दर्द तो हो रहा है पर दिखाने को घाव नही


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कहने को शब्द नही लिखने को भाव नही

दर्द तो हो रहा है पर दिखाने को घाव नही


*


गुरुर उनका कुछ ऐसे तोड़ दिया हमने

अब उनको देख कर मुस्कुराना छोड़ दिया हमने


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जिसका ये ऐलान है कि वो मजे में है

या तो वो फकीर है या फिर नशे में है।



तुम्हें पा लेते तो किस्सा खत्म हो जाता,

तुम्हें खोया है तो यकीनन कहानी लंबी चलेगी.


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तुम्हें पा लेते तो किस्सा खत्म हो जाता,

तुम्हें खोया है तो यकीनन कहानी लंबी चलेगी.


*


तुम्हें पा लेते तो किस्सा खत्म हो जाता,

तुम्हें खोया है तो यकीनन कहानी लंबी चलेगी.


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एक अजीब सी बेचैनी है तेरे बिन,

रह भी लेते हैं.. रहा भी नही जाता।।



अपने चेहरे से जो जाहिर है छुपाएं कैसे,

तेरी मर्जी के मुताबिक नजर आए कैसे.!


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कहानियां पूरी कैसे हों,

जब किरदार अधूरे हैं.!!


=> 02 - Alfaaz Shayari 2 Line


इतना साफ मत रख अपने दामन को,

लोग अगर गंगा समझ बैठे तो गंदा कर देंगे!


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यही सोचकर ज्यादा शिकवा नही किया मैंने,

की अपनी जगह हर कोई सही होता है..!


*


झट से बदल दूँ इतनी न हैसियत, न आदत है मेरी

रिश्ते हों या लिबास मै बरसों…. चलाता हूँ….


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हम पढ़कर किताब सीख लेंगे मोहब्बत सारी,

जरूरी नही सब कुछ आजमा कर देखा जाए।



सफर ए जिंदगी में जब कोई, मुश्किल मकाम आया,

ना गैरों ने तवज्जो दी, ना अपना कोई काम आया…!


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सहमा सहमा डरा सा रहता है,

ना जाने क्यों जी भरा सा रहता है।


*


दर्द मोहब्बत का ए दोस्त बहुत खूब होगा,

न चुभेगा… ना दिखेगा… बस महसूस होगा..!


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अपना कोई मिल जाता तो हम फूट के रो लेते,

यहां सब गैर हैं तो हंस के गुजर जाएगी..!



तुझे सिर्फ अपना गम दिखता है,

पर अफसोस तुझे कितना कम दिखता है।


-


हद से बढ़ जाए ताल्लुक तो गम मिलते हैं,

हम इसी वास्ते हर शख्स से कम मिलते हैं।


=> 03 - अनकहे अल्फ़ाज़ शायरी


खो देते हैं, फिर खोजा करते हैं,

यही खेल हम जिंदगी भर खेला करते हैं.!


-


बगैर उसके अब आराम भी नही आता,

वो जिसके लब पर मेरा नाम भी नही आता।


*


वो नदी थी वापस मुड़ी नही,

मै समंदर था आगे बढ़ा नही.


-


मोहब्बत पहली, दूसरी या तीसरी नही होती

मोहब्बत वही है जिससे बाद मोहब्बत ना हो.!!



कुछ अजीब सा चल रहा ये वक़्त का सफर,

एक गहरी ख़ामोशी है बस खुद के अंदर.!


-


अकेले ही तय करने पड़ते हैं कुछ सफर

जिंदगी के हर सफर में हमसफ़र नही होताा


*


कोई चराग जलाता नहीं सलीके से,

मगर सभी को शिकायत हवा से होती है।


-


इश्क़ का ये खेल भी अनूठा है,

के आज हमारी जगह उसके पास कोई और बेठा है।



मेरी गैर मौजूदगी में तुझे कौन देखेगा,

साथ तो रहेंगे सब मगर तेरा ख्याल कौन रखेगा।


-


जरा जरा सी बात पर दिल तोड़ देते हो,

जब चाहा बात की, जब चाहो छोड़ देते हो.!


=> 04 - गहरे अल्फ़ाज़ शायरी


कुछ उसे भी दूरियां पसंद आने लगी थी,

और कुछ मैंने भी वक़्त मांगना छोड़ दिया।


-


वक़्त यू रेत की तरह फिसलता रहा,

कोई मिलता रहा तो कोई बिछड़ता रहा.!!


*


ज़माने को नहीं जिसकी जरुरत

मैं शायद वो जरुरी आदमी हूँ। 


-


कुछ अधूरापन था, जो पूरा हुआ ही नही,

कोई था मेरा, जो मेरा हुआ ही नही.!



घर जल रहा था मेरा, सब तमाशा देख रहे थे,

जिनसे उम्मीद थी मदद की, वो हाथ सेंक रहे थे.!


-


देखने वाले ने देखा है मुझे हमेशा अकेला,

पर साथ रहती है तन्हाई, खामोशी मेरे हमेशा। 


*


मेरे पास ही है मगर ना जाने क्यों

अब वो शख्स गया सा लगता है.


-


मेरे अपने करने लगे हैं बगावत आजकल,

गैरों को होने लगी है मोहब्बत मुझसे !



हुआ है तुझसे बिछड़ने के बाद ये मालूम ,

कि तू नहीं था तेरे साथ एक दुनिया थी।


-


पकड़ी जब नब्ज मेरी, हकीम यूँ बोला

वो जिन्दा है तुझमे, तू मर चुका है जिसमे।


=> 05 - अधूरे अल्फ़ाज़ शायरी


जिन्हें नीड नही आती, उन्ही को है मालूम

सुबह होने में कितने ज़माने लगते हैं.


-


अगर मोहब्बत करने के काबिल हो

तो पहले खुद से मोहब्बत करो !


*


रंग खुशबु और मौसम बहाना हो गया,

अपनी ही तस्वीर में चेहरा पुराना हो गया। 


-


पता कैसे मिले उस लापता का

जो गुम रहता हो अपने आप ही में।



इतना भी बेहतर न खोजो

कि बेहतरीन को ही खो दो।


-


जीतता हूँ जिन्हें मोहब्बत से

उनको गुस्से में हार जाता हूँ.!


*


तेरा बदलाअब मै अब दूसरों से लेता हूँ

जो मुझे चाहता है मै उसे छोड़ देता हूँ !


-


जिंदगी के सारे मुकाम पहले हासिल कर लो,

कहीं इश्क़ में उलझ गए तो बर्बाद होना तय है।



जहाँ दूसरों समझाना मुश्किल हो जाये

वहां खुद को समझा लेना बेहतर होता है !


-


वो सो जायेंगे किसी और की बाँहों में,

तुम सिर्फ करवटें बदलते !!


=> 06 - अल्फ़ाज़ शायरी रेख़्ता


इश्क़ उसी से खामियाँ बेशुमार हों

ये खूबियों से भरे चेहरे इतराते बहुत हैं !!


-


तुम्हारा हाथ छूटने के बाद

बड़े हल्के से पकड़ता हूं अब मैं सबकुछ.!


*


बहुत मजबूत हूं मै ये पूरी दुनिया जानती है,

बहुत कमज़ोर हूं मै ये सिर्फ तुम जानती हो.!


-


सबकुछ मिट जायेगा वादों के सिवा,,

तो कुछ लम्हे जो लिए जाएं याद बनने से पहले।


^


काश तुम कभी सोच पाते,

हम क्या सोचते हैं.!


-


दिल अब पहले सा मासूम नही रहा,

पत्थर तो नही बना पर मोम भी नही रहा..


*


आदत बदल सी गई है वक्त काटने की,

अब हिम्मत नही होती किसी को

अपना दर्द बांटने की.!


-


इश्क़ की किताब का उसूल है जनाब

मुड़कर देखोगे तो मोहब्ब्त मानी जायेगी।


^


जिस कदर जिसकी कदर की,

उस कदर बेकदर हुए हैं हम !!


-


बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर क्योंकि

मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है।


=> 07 - Khamosh Alfaaz Shayari


मिले तो हजारों लोग थे ज़िंदगी में,

वो सबसे अलग था जो किस्मत में नही था।


-


खाली वक्त में कभी याद आऊं

समझ लेना तुम्हारे अंदर कहीं जिंदा हूं मै


*


इश्क़ का सफर खत्म ही समझिए,

उनकी बातों से अब जुदाई की महक आने लगी है।


-


बहुत भीड़ है लोगों के दिलों में,

इसलिए हम अकेले ही रहते हैं.!


^


अपने कई हैं,

मगर अपना कोई नहीं.!


-


बिछड़ के तुझसे किसी दूसरे पर मरना है,

ये तजुर्बा भी इसी जिन्दगी में करना है।


*


अंजाम ने दुख दिया,

वरना यादें तो प्यारी हैं..!


-


जिन्दगी तो सबके पास है

पर हर कोई जिंदा थोड़ी है..!


^


कैसे कह देते हैं लोग रात गई बात गई,

यहां जमाने गुजर जाते हैं दिल पर लगी

बात को भुलाने में.!!


-


मां फिर से चुप कराओ ना,

तेरा बेटा अब अंदर से रोता है.!


=> 08 - अल्फ़ाज़ शायरी फोटो


कुछ इस तरह से तेरे मेरे रिश्ते ने सांस ली,

न मैंने पलट कर देखा न तुमने आवाज दी।


-


सवाल ये नही की दर्द कितना है,

बात ये है कि परवाह किसे है.!


*


शर्तें लगाई जाती नही दोस्ती के साथ,

कीजिए मुझे कुबूल मेरी हर कमी के साथ


-


शर्तें लगाई जाती नही दोस्ती के साथ,

कीजिए मुझे कुबूल मेरी हर कमी के साथ


^


कहां चराग जलाएं, कहां गुलाब रखें,

छतें तो मिलती हैं, लेकिन मकां नही मिलता..


-


आजतक दिया नही तुमने मुझे फरेब

पर ये भी सच है तुम कभी मेरे नही रहे!


*


सैर कर दुनिया की गालिब जिंदगानी फिर कहां,

जिंदगी अगर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहां


-


सिर्फ़ ज़िंदा रहने को ज़िन्दगी नही कहते,

कुछ गम-ए-मोहब्बत तो कुछ गम-ए-जहां यारों


^


बदला हुआ कहता है वो मुझे,

जो खुद पहले जैसा नही रहा


-


हमारा दिल तो हमेशा से इक जगह पर है,

तुम्हारा दर्द ही रस्ता भटक गया होगा !


=> 09 - खामोश अल्फ़ाज़


अब तो बस, दिल में यादें..

और फोन में नंबर रह गए हैं.!


-


माना कि तुम गुफ्तगू के फन में माहिर हो पर

वफ़ा के लफ्ज़ पर अटको तो हमे याद कर लेना


*


इतना बदनाम भी बीमार ना हो,

मौत आने ही को तैयार न हो..


-


सभी से राज कह देता हूं अपने

न जाने क्या छुपाना चाहता हूं


^


रंग उड़ने लगा है फूलों का,

अब तो आ जाओ! वक़्त नाजुक है..


-


मै मुद्दतों जिया हूं किसी दोस्त के बगैर,

अब तुम भी साथ छोड़ने को कह रहे हो खैर..


*


रोज़ कहता हूं कि अब उन को न देखूंगा कभी,

रोज़ उस गली में इक काम निकल आता है।


-


हाल ये है कि अपनी हालात पर,

गौर करने से बच रहा हूं मै।


^


जानता हूं के तुझे साथ तो रखते हैं कई,

पूछना था कि तेरा ध्यान भी रखता हैं कोई.?


-


मैंने उसे प्यार किया है मिल्कियत का दावा नही,

वो जिसके भी साथ है मै उसको भी अपना मानता हूं


=> 10 - उर्दू अल्फ़ाज़ शायरी इन हिंदी


रोज अच्छे नही लगते आंसुं

खास मौकों पे मजा देते हैं।


-


हर नजर से बचकर वो मुझपे नज़र रखता है,

एक शख्स है जो मेरी हर खबर रखता है।


*


रहने दिया ना उसमे किसी काम का मुझे,

और ख़ाक में भी मुझको मिलाकर नही गया।


-


दिल की बात लबों पर लाकर

अब तक हम दुख सहते हैं,

हमने सुना था इस बस्ती में

दिलवाले भी रहते हैं.


^


अंधेरे में भी एक दुनिया है आबाद

आंखों को अपनी बंद करके तो देखो


-


भरी है जो दिल में हसरत कहूं तो किससे कहूं,

सुने है कौन मुसीबत कहूं तो किससे कहूं


*


मै बोलता हूं तो इल्ज़ाम है बगावत का,

मै चुप रहूं तो बड़ी बेबसी सी होती है।


-


हम तुम में कल दूरी भी हो सकती है,

वजह कोई मजबूरी भी हो सकती है।


^


हाथ उठते हुए उनके न कोई देखेगा

किस के आने की करेंगे वो दुआ मेरे बाद


-


तुम्हारे दिल की चुभन भी जरूर कम होगी,

किसी के पांव से कांटा निकालकर देखो।


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