खूबसूरती शायरी हिन्दी मे | 399+ BEST Khubsurti Ki Tareef Shayari in Hindi
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=> 01 - टॉप Khubsurti Ki Tareef Shayari in Hindi With Images
होंठ गुलाबी है तेरे जैसे पंखुडी गुलाब की
शराब कौन पिए पागल जब तुम हो बोतल शराब की
हटा के जुल्फ़ चहरे से ना तुम छत पर शाम को जाना
कहीं कोई ईद ना करले सनम अभी रमज़ान बाकी है जानेमन
*
बेशक खूबसूरत तो वो आज भी है
लेकिन चेहरे पर वो मुस्कान नहीं जो हम लाया करते थे
एक खूबसूरत एहसास बे-आवाज हो गया
इश्क अब इश्क ना रहा जैसे रिवाज हो गया
ये दिलबरी, ये नाज़, ये अंदाज़, ये जमाल,
इंसान करे अगर न तेरी चाह… क्या करे
सब है तारीफ करते है मेरी शायरी,
कभी कोई नहीं सुनता मेरे लफ़्ज़ों की सिसकियाँ
*
तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है,
तेरे आगे चांद पुराना लगता है
हसीन चेहरों से सीखी हमने सिर्फ एक बात,
जिसकी जितनी हसीं अदा है वो उतना ही बेवफा है
आसमां में खलबली है सब यही पूछ रहे हैं,
कौन फिरता है ज़मीं पे चाँद सा चेहरा लिए
तेरी खूबसूरती की तारीफ में क्या लिखूं,
कुछ खूबसूरत शब्दों की अभी तलाश है मुझे
=> 02 - Khubsurti Ki Tareef Shayari 2 Line
ये आईने ना दे सकेंगे तुझे तेरे हुस्न की खबर,
कभी मेरी आँखों से आकर पूछो के कितनी हसीन हों तुम
रुख से पर्दा हटा तो, हुस्न बेनकाब हो गया,
उनसे मिली नज़र तो, दिल बेकरार हो गया
*
ऐ चाँद मत कर इतना गुरुर… तुझमें तो दाग है,
पर मेरे वजूद में जो चाँद सिमटा है वो बेदाग है
हम तो अल्फाज़ ही ढूढ़ते रह गए,
और वो आँखों से गज़ल कह गए
ऐ सनम जिस ने तुझे चाँद सी सूरत दी है
उसी रब ने मुझ को भी मोहब्बत दी है
आइना देख के कहते हैं सँवरने वाले
आज बे-मौत मरेंगे मुझ पर मरने वाले
*
मैं जहाँ हूँ तिरे ख़याल में हूँ
तू जहाँ है मिरी निगाह में है
निगाह बर्क़ नहीं चेहरा आफ़्ताब नहीं
वो आदमी है मगर देखने की ताब नहीं
तेरी सूरत से किसी की नहीं मिलती सूरत
हम जहाँ में तिरी तस्वीर लिए फिरते हैं
-
तेरी सूरत से किसी की नहीं मिलती सूरत
हम जहाँ में तिरी तस्वीर लिए फिरते हैं
=> 03 - खूबसूरती की तारीफ शायरी २ लाइन
उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगा
आसमाँ पे चाँद पूरा था मगर आधा लगा
-
तेरी जितनी तारीफ करू उतनी ही कम है
तेरे सिवा हम कुछ भी नहीं अगर तुम हो तो हम है।
*
नहीं कहता में उसकी तारीफ के किस्से
अब उन्हें आँकूं तो आँकूं किससे।
-
वो हमे रोज कहती थी मुझे तुम चाँद ला कर दो
उसे एक आईना दे कर अकेला छोड़ आया हूँ।
हमारे लफ्जों में है तारीफ एक चेहरे की
हमारे महबूब की मुस्कुराहट से चलती है सांसे हमारी
-
हर बार हम पर इल्जाम लगा देते हो मुहब्बत का,
कभी खुद से भी पूंछा है इतनी खूबसूरत क्यों हो
*
तेरा अंदाज़-ए-सँवरना भी क्या कमाल है,
तुझे देखूं तो दिल धड़के ना देखूं तो बेचैन रहूँ
-
बचपन में सोचता था चाँद को छू लूँ,
आपको देखा वो ख्वाहिश जाती रही
इश्क के फूल खिलते हैं तेरी खूबसूरत आँखों में,
जहाँ देखे तू एक नजर वहाँ खुशबू बिखर जाए
-
तेरी निगाह दिल से जिगर तक उतर गयी,
दोनों को ही एकअदा में रजामंद कर गई।
=> 04 - खूबसूरती की तारीफ शायरी 4 लाइन
हम पर यूँ बार बार इश्क का इल्जाम न लगाया कर,
कभी खुद से भी पूंछा है इतनी खूबसूरत क्यों हो
-
कैसे ना हो इश्क, उनकी सादगी पर ए-खुदा,
ख़फा हैं हमसे, मगर करीब बैठे हैं
*
ये आईने क्या दे सकेंगे तुम्हें तुम्हारी शख्सियत की खबर,
कभी हमारी आँखो से आकर पूछो कितने लाजवाब हो तुम
-
कैसी थी वो रात कुछ कह सकता नहीं मैं,
चाहूँ कहना तो बयां कर सकता नहीं मै
तारीफ़ तेरी नामुमकिन है चाँद अल्फ़ाज़ों में,
सोचता हूँ की तुझ पर एक किताब लिखूं
-
सोचा की कुछ अपनी तारीफ में लिख दूँ,
फिर सोचा की तुम्हे ही अपनी तारीफ में लिख दूँ
*
आपकी तारीफ के लायक बनना यही तो ख्वाहिश है मेरी,
क्युकी हमसे ज़्यादा खूबसूरत, तो आपकी तारीफों के बोल होते है
-
क्या लिखू तेरी तारीफ़ ए सूरत में यार,
अल्फ़ाज़ काम पड़ जाते है, तेरी मासूमियत देखकर
तस्वीर बना कर तेरी आसमान पर टांग कर आया हूँ,
और लोग पूछते है आज चाँद इतना बेदाग कैसे है
-
दिल की हर ख़ुशी हो तुम होठों की मुस्कान हो तुम
धड़कता है मेरा ये दिल जिसके लिए वो मेरी जान हो तुम
=> 05 - तारीफ शायरी
धडकनों को कुछ तो काबू में कर ऐ दिल,
अभी तो पलके झुकाई है मुस्कुराना बाकी है उनका
-
मोहब्बत का कोई कलर नही फिर भी वो रंगीन है,
प्यार का कोई चेहरा नही फिर भी वो हसीन हैं
*
मोहब्बत का मतलब इंतज़ार नही होता, हर किसी को देखना प्यार नही होता,
यू तो मिलता है रोज़ मोहब्बत-ए-पैगाम, प्यार है ज़िंदगी जो हर बार नही होता
-
तुम्हारी हंसी कभी कम ना हो, ये आँखे कभी नम ना हों,
तुमको मिले जिन्दगी की हर खुशी, भले उस खुशी में शामिल हम ना हों
तू रूठी रूठी सी लगती है, कोई तरकीब बता मनाने की,
मै जिन्दगी गिरवी रख दूंगा, तू कीमत बता मुस्कुराने की
-
ये आईने क्या देंगे तुझे तेरे हुस्न की खबर
मेरी आँखों से तो पूछ कर देख कितनी हसीन है तू
*
ये आईने क्या देंगे तुझे तेरे हुस्न की खबर
मेरी आँखों से तो पूछ कर देख कितनी हसीन है तू
-
तेरे हुस्न के आगे मुझे लगता है सब कुछ सादा
आस्मां में है पूरा चाँद पर मुझे लगता है आधा
तेरे हुस्न के आगे मुझे लगता है सब कुछ सादा
आस्मां में है पूरा चाँद पर मुझे लगता है आधा
-
मुझे क्या मालूम था हुस्न क्या होता है
मेरी नज़रों ने तुझे देखा और अंदाजा हो गया
=> 06 - महिलाओं की सुंदरता पर शायरी
शोखी से ठाहेरती नहीं कातिल की नजर आज,
ये बर्क-ए-बाला देखिये गिरती है किधर आज
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ऑंखे यो की दो पैमाने भरे हों मय के,
हुस्न यो की जैसे ख़ुदा का नूर हो कोई
*
निकलते हैं घर से सिर्फ इक मुस्कान का गहना पहने,
ख़ुदा कसम, हुस्न की इसी सादगी पे तो हैं फिदा हम
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सुना है वो पलकें झुका कर सुबह को शाम करते हैं
ख़ुदा बचाए हमें, वो अपने हुस्न से ही कत्ले आम करते हैं
^
सुना है वो पलकें झुका कर सुबह को शाम करते हैं
ख़ुदा बचाए हमें, वो अपने हुस्न से ही कत्ले आम करते हैं
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वो कहती हैँ हम उनकी झूठी तारीफ करते हैँ
ए खुदा बस एक दिन आईने को जुबान दे दे
*
तेरे हुस्न की तारीफ मेरी शायरी के बस की नहीं
तुझ जैसी कोई और कायनात में बनी नहीं
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तेरे हुस्न की तारीफ मेरी शायरी के बस की नहीं
तुझ जैसी कोई और कायनात में बनी नहीं
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. तारीफ अपने आप की करना फ़िज़ूल है
खुशबू खुद बता देती है कौन सा फूल है
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तेरे हसन का करू ही क्या में तारीफ तू जो एक
बार मुस्कुरादे तो इश्क़ मेह पड़जाये ये पूरा महफ़िल
=> 07 - दुनिया की सबसे खूबसूरत शायरी
क्युकी में तुम्हे वैसे ही पसंद किया है जैसे तुम हो
कल तुम्हारा तारीफ करना अच्छा लगता था तोह
आज दूर रहना,रुक जाना यह भी सही है।
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दीदार हो जाता है दिन कोई भी हो,
लेकिन मेरे लिए त्यौहार हो जाता है
*
हर बार हम पर इल्जाम लगा देते हो मुहब्बत का,
कभी खुद से भी पूंछा है इतनी खूबसूरत क्यों हो
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तेरे वजूद से हैं मेरी मुक़म्मल कहानी,
मैं खोखली सीप और तू मोती रूहानी
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घूँघट में इक चाँद था और सिर्फ तन्हाई थी,
आवाज़ दिल के धड़कने की भी फिर ज़ोर से आयी थी।
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सुबह का मतलब मेरे लिए सूरज निकलना नही,
तेरी मुस्कराहट से दिन शुरू होना है।
*
सुबह का मतलब मेरे लिए सूरज निकलना नही,
तेरी मुस्कराहट से दिन शुरू होना है।
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तेरी याद में न चैन रहे न करार
ख़त दे दिया करे क्यों जला रहे हो यार
^
खीर से जी भरा नही बनाओं माला पनीर
जल्दी माला आओ या भेजो अपनी तस्वीर
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मर गया मैं खुली रही आँखे
मीना तेरे आशा की हद थी
=> 08 - खूबसूरती की तारीफ पर कविता
या रब मेरे महबूब को सलामत रखना
वर्ना मेरे जीने की दुआ कौन करेगा
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गए थे उनके हुस्न को बेनकाब करने,
खुद उनके इश्क का नकाब पहनकर आ गए।
*
तेरी सादगी का हुस्न भी लाजवाब है,
मुझे नाज़ है के तू मेरा इंतेख़ाब है।
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ये आईने ना दे सकेंगे तुझे तेरे हुस्न की खबर,
कभी मेरी आँखों से आकर पूछो के कितनी हसीन हों तुम।
^
हुस्न को शर्मसार करना ही
इश्क़ का इंतिक़ाम होता है
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जब मैंने चाँद को अपना चाँद दिखाया,
रात में निकला पर हुस्न पर नहीं इतराया
*
इन आँखों को जब जब उनका दीदार हो जाता है
दिन कोई भी हो, लेकिन मेरे लिए त्यौहार हो जाता है
-
. मिल जायेगे हमारी भी तारीफ करने वाले
कोई हमारी मौत की अफवाह तो फैला दो
^
मैं रोज़ लफ़्ज़ों में बयान करता हूँ अपना दर्द,
और सब लोग सिर्फ़ वाह वाह कह कर चले जाते है।
-
बारिश और मोहब्बत दोनों ही यादगार होते हे,
बारिश में जिस्म भीगता हैं और मोहब्बत मैं आँखे।
=> 09 - खूबसूरत चेहरा शायरी इन हिंदी
सौ बार कहा दिल से चल भुल भी जा उसको,
सौ बार कहा दिल ने तुम दिल से नही कहते।
-
अहमियत दी तो कोहिनूर खुद को मानने लगे,
कांच के टुकड़े भी क्या खूब वहेम पालने लगे।
*
जब से कमाने की होड़ में जुड़ी हूं
मेरी गुल्लक में सपने कम हो रहे हैं
-
क्या लिखूं तेरी तारीफ ए सूरत में यार
अल्फाज कम पड़ रहे हैं तेरी मासूमियत देखकर
^
तेरे इश्क ने सरकारी दफ्तर बना दिया दिल को
ना कोई काम करता है कोई बात सुनता है
-
करते है मेरी खामियों का बयान इस तरह लोग,
अपने किरदार में फरिश्ते हो जैसे
*
लड़ने दो जुल्फों और हवाओं को आपस में
तुम क्यों हाथ से उन में सुलह कराने लगती हो
-
बहक ना जाए कहीं लौ की नियत
होठों से दीया तू बुझाया ना कर
^
सफाईयां देनी छोड़ दी है
मैं बहुत बुरी हूं सीधी सी बात है
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तू जरा सी कम खूबसूरत होती
तो भी बहुत खूबसूरत होती
=> 10 - खूबसूरती की तारीफ शायरी इन हिंदी फॉर फ्रेंड
मुझे देखकर शर्म से नजरें चुरा लेती है वो,
उसे बेवफा न समझ लूं इसलिए,
चेहरे से जुल्फों को हटा जरा सा मुस्कुरा देती है वो।
-
मुझे मालूम नहीं है कि क्या है हुस्न,
मेरी नजरों में तो हसीन वो है जो तुम सा हो।
*
देखे जो तुम्हे वो हर एक दीवाना हो जाये,
खूबसूरती ऐसी है तुम्हारी कि तुम्हे देख चांद भी शर्मा जाए।
-
क्या लिखूं तारीफ में तुम्हारी ए हुस्न की मल्लिका,
कुंआ भी अगर तुम्हें देखे, तो वो भी प्यासा हो जाये।
^
यह तेरा हुस्न और ये अदाएं तेरी,
मार जाते हैं इन्हें देख मुहल्ले के सारे आशिक तेरे।
-
जब यह चांद अधूरा आता है,
मुझे बस एक ही ज़िक्र याद आता है,
कि यह चांद इस चांद से कितना शर्माता है।
*
नींद से क्या शिकवा करूं मैं जो रात भर आती नहीं,
कसूर तो उस चेहरे का है, जो रात भर सोने देता नहीं।
-
मैं तुम पर नहीं तुम्हारी सादगी पर मरता हूं,
यह फर्क नही पड़ता कि तुम मुझे चाहो या न चाहो,
मैं तो सिर्फ तुम पर ही मरता हूं।
^
देख कर हुस्न उनका कब हुई है हमें उनसे मुहब्बत,
वो तो बस उनका काजल लगाकर आना मेरी जान ले गया।
-
आंखों में उनकी हमने क्या क्या देखा,
कभी कातिल देखा तो कभी खुदा देखा।
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